जयपुर. कोरोना संकट से राज्य की आर्थिक हालत सुधारने के लिए गहलोत सरकार ने कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर मार्च में 2, 3 और 5 दिन का वेतन कोविड-19 राहत के नाम से नाम पर काट लिया है. साथ ही मार्च महीने के 15 दिन का वेतन स्थगित कर दिया, जो कर्मचारियों को अब तक नहीं मिला है. इस साल कर्मचारियों को मिलने वाले 4 फीसदी डीए को भी सरकार ने रोक दिया है.
आर्थिक हालत सुधारने के लिए बजट घोषणा में कटौती अब तक राज्य के कर्मचारियों को उम्मीद थी कि मिलने वाले 17 प्रतिशत महंगाई भत्ते को 4 प्रतिशत बढ़ा कर 21 प्रतिशत किया जाएगा. लेकिन आर्थिक संकट के चलते सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया. उल्टे कर्मचारियों के जीपीएफ पर ही रोक लगा दी है. साथ ही सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेच्युटी और पेंशन लोन पर भी सरकार ने रोक लगा दी है.
पढ़ें-सुरजेवाला पर राजेंद्र राठौड़ का पलटवार, कहा- देश की आत्मा के साथ खिलवाड़ कर रही है कांग्रेस
इसको लेकर कर्मचारी नेता गजेंद्र सिंह बताते हैं कि राज्य के कर्मचारियों ने 2, 3 और 5 दिन की वेतन कटौती को सहज स्वीकार कर लिया था. इसके बाद सरकार ने मार्च महीने का 15 दिन का वेतन स्थगित किया था, कई बार मांग करने पर भी नहीं दे रही है.
वेतन, पेंशन और सब्सिडी के लिए चाहिए 8 हजार करोड़
कोरोना के चलते सरकार को हर महीने 3500 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है. जबकि सरकार को वेतन, पेंशन, सब्सिडी की मदद के लिए करीब 8000 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च करने पड़ते हैं. राजस्व घाटे की भरपाई के लिए सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर वैट की दरों में बार-बार बढ़ोतरी की है. लॉकडाउन में ट्रांसपोर्ट बंद होने की वजह से इससे भी सरकार को कोई राहत नहीं मिली है. हालांकि केंद्र सरकार ने राज्यों को राहत देने के लिए वेज एंड मीन्स एडवांस की लिमिट को बढ़ा दिया है, लेकिन इस उधार पर भी राज्य सरकार को 6 से 8 प्रतिशत तक ब्याज चुकाना पड़ रहा है.
सीएम गहलोत के निर्देश पर वित्त विभाग ने उठाया कदम
सीएम गहलोत ने 3 जनवरी को बजट पेश करते हुए प्रदेश के विकास के लिए 7 संकल्पों का उल्लेख किया था. करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये के कार्जभार से जूझ रही सरकार ने अब कोरोना संकट के कारण 7 संकल्पों में से 5 संकल्पों के बजट में कटौती करने की तैयारी कर ली है. सीएम गहलोत के निर्देश के बाद वित्त विभाग कटौती करने के लिए तेजी से कदम उठा रहा है. केन्द्र से पर्याप्त सहायता नहीं मिलने पर गहलोत सरकार ने बजट घोषणा में कटौती के संकेत दिए थे.
पढ़ें-जयपुर: पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों को लेकर NSUI का प्रदर्शन, पुलिस हिरासत में प्रदर्शनकारी छात्र
सीएम गहलोत ने कहा था कि केंद्र सरकार से राहत पैकेज नहीं मिला तो राज्य के सामने आर्थिक चुनौतियां आ जाएंगी. केंद्र ने जीएसटी के 4 हजार करोड़ रुपये और सीजीएसटी के 4478 करोड़ रुपये का हिस्सा राज्य को नहीं दिया है. वित्त विभाग के अधिकारियों से मिले सूत्रों के अनुसार सीएम के 2 संकल्पों में निरोगी राजस्थान और संपन्न किसान को छोड़कर अन्य 5 संकल्पों पर कटौती होगी.
सीएम ने मौजूदा वर्ष में 53,151 पदों पर भर्ती करने के लिए निरोगी राजस्थान पर 14,533 करोड़ 37 लाख रुपये और किसान के लिए कृषि पर 3 हजार 420 करोड़ 6 लाख रुपये खर्च करने की घोषणा की थी. सरकार इन दोनों क्षेत्रों के बजट में कोई कटौती नहीं करेगी. लेकिन नए, स्कूल, कॉलेज, आवासीय विद्यालय, शिक्षा को लेकर अन्य गतिविधियों पर 39 हजार 524 करोड़ के प्रावधान में कटौती करेगी. सड़क और पेयजल योजनाओं पर भी कटौती की संभावना तलाशी जा रही है.
आर्थिक हालात सुधारने के लिए कवायद शुरू
बिगड़े आर्थिक हालात को सुधारने के लिए सरकार ने राज्य की आमदमी बढ़ाने को लेकर कसरत शुरू कर दी है. सरकार के राजस्व जुटाने वाले आबकारी, स्टांप रजिस्ट्रेशन और परिवहन विभाग के जरिए कोशिश कर रही है. पेट्रोल-डीजल पर तीन बार वेट बढ़ाने के बाद सरकार ने शराब पर भी तीन बार सेस/अधिभार लगा दिया है. सरकार के इस कदम से सरकार खजाने में बढ़ोतरी होगी. राज्य सरकार ने डूबी हुई रकम को वसूली के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है. बजट घोषणा में हर साल 75,000 युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा पूरा करने की सरकार मंशा नहीं दिख रही है.