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जयपुर : टाउनशिप पॉलिसी 2010 में बदलाव..आमजन को मिली राहत

राजस्थान सरकार ने शहरी विकास के कायापलट की तैयारी कर ली है. इसके लिए शहरी विकास से जुड़ी टाउनशिप पॉलिसी नए सिरे से लागू की गई है. नगरीय विकास विभाग ने टाउनशिप पॉलिसी 2010 के अंतर्गत आ रही समस्याओं को दूर करते हुए नए प्रावधान तय किए हैं.

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Published : Sep 29, 2021, 9:33 PM IST

टाउनशिप पॉलिसी 2010
टाउनशिप पॉलिसी 2010

जयपुर.टाउनशिप पॉलिसी 2010 में 10 हैक्टेयर से कम और अधिक क्षेत्रफल की योजनाओं में 40 से 45 प्रतिशत क्षेत्रफल सड़क, पार्क, ओपन स्पेस और दूसरी सुविधाओं के लिए आरक्षित किये जाने का प्रावधान है. इसमें से कम से कम 15-20 प्रतिशत क्षेत्रफल पार्क, ओपन स्पेस और सुविधाओं के लिए आरक्षित किये जाने का प्रावधान है.

विशेष परिस्थितियों में जहां योजनाओं में हाईटेंशन लाइन या फिर मास्टर प्लान/ सेक्टर प्लान की अधिक सड़कें होने पर सड़कों का क्षेत्रफल 20-22 प्रतिशत से अधिक हो जाता है. ऐसे प्रकरणों में हाईटेंशन लाइन के क्षेत्र की गणना भी सुविधा क्षेत्र के लिए आरक्षित क्षेत्र में की जाएगी. लेकिन न्यूनतम 5 प्रतिशत क्षेत्र ओपन एरिया/ पार्क के लिए ले-आउट प्लान में रखना अनिवार्य होगा.

यदि किसी परियोजना में से हाईटेंशन लाइन / गैस / पैट्रोल की पाईप लाइन निकल रही है तो नियमानुसार आवश्यक मार्गाधिकार को स्कीम क्षेत्रफल की गणना में सम्मिलित कर ग्रीन/ खुला क्षेत्र माना जा सकेगा. यदि किसी परियोजना में इस कारण 10 हैक्टेयर से कम और अधिक क्षेत्रफल की योजनाओं में ग्रीन क्षेत्र 5/10 प्रतिशत से अधिक होता है, तो उतने प्रतिशत तक की सुविधा क्षेत्र में छूट दी जा सकेगी.

राजस्थान टाउनशिप पॉलिसी-2010 के अन्तर्गत जारी अधिसूचना के अनुसार आवासीय योजनाओं में टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक हैक्टेयर तक की योजना में न्यूनतम एक मोबाइल टावर के लिए भूमि आरक्षित किया जाना आवश्यक है. इस संबंध में ये स्पष्ट किया गया है कि एक एकड़ और इससे कम क्षेत्रफल की ऐसी योजनाएं, जिसमें प्रस्तावित भूखण्डों की संख्या 20 या उससे कम हो, उनमें मोबाइल टावरके लिए अलग से भूमि आरक्षित किया जाना अनिवार्य नहीं होगा. ऐसे में विकासकर्ता की ओर से प्रस्तावित सुविधा क्षेत्र की भूमि पर भविष्य में आवश्यकतानुसार मोबाइल टावर स्थापित किया जाना अनुज्ञेय किया जा सकेगा.

दो हैक्टेयर तक क्षेत्रफल के एकल पट्टों के प्रकरणों में 5 प्रतिशत भूमि के बराबर आरक्षित दर पर राशि नियमानुसार जमा कराने का प्रावधान है. पॉलिसी में ये भी स्पष्ट किया गया है कि सुविधा क्षेत्र के बराबर ली जाने वाली राशि आवासीय आरक्षित दर से लिया जाना सुनिश्चित करना होगा. किसी विशेष मामले में जहां किसी भी स्थिति में 40 फीट पहुंच मार्ग उपलब्ध होना संभव नहीं हो, तो ऐसे प्रकरणों में सम्बन्धित नगरीय निकाय अपने स्तर पर अनुमति दे सकेगा. लेकिन ऐसे पहुंच मार्ग की चौड़ाई 30 फीट से कम नहीं होगी.

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राजस्थान टाउनशिप पॉलिसी के तहत ऐसी स्वीकृत टाउनशिप योजनाएं या ग्रुप हाउसिंग के लिए स्वीकृत ऐसे योजना क्षेत्र जो कि Gatted Community के रूप में विकसित की जाए, उनमें चौड़ाई की सड़कों और विभिन्न क्षेत्रफल के भूखण्डों पर स्वतंत्र निवास इकाई / बहुनिवास इकाई / फ्लेट्स के भवन मुख्य सड़क की चौड़ाई के अनुरूप भूखण्ड क्षेत्रफल पर अनुज्ञेयता के आधार पर स्वीकृत किये जा सकेंगे. ऐसी योजनाओं में आधारभूत सुविधाओं का विकास योजना क्षेत्र में प्रस्तावित विकास इकाइयों के अनुरूप किया जाना अनिवार्य होगा.

स्थानीय निकाय की ओर से कृषि भूमि से अकृषि उपयोग के लिए रूपान्तरण के बाद निजी विकासकर्ता/निजी खातेदार द्वारा राजस्थान टाउनशिप पॉलिसी के तहत सभी भू-उपयोगों के ले-आउट प्लान अनुमोदन किये जाने से पहले या ले-आउट प्लान अनुमोदन के बाद मास्टर प्लान / जोनल डवलपमेंट प्लान के प्रावधानानुसार किसी सड़क के मार्गाधिकार में वृद्धि के लिए निजी विकासकर्ता/निजी खातेदार के स्वामित्व की भूमि में से ले-आउट प्लान के क्षेत्र में से भूमि निशुल्क समर्पित करवाये जाने की स्थिति में निजी विकासकर्ता/निजी खातेदार अलग प्रावधान तय किये गए हैं.

एकल भूखण्ड के प्रकरणों में निजी विकासकर्ता / निजी खातेदार द्वारा ले-आउट प्लान के रूप में प्रस्तावित किये जाने पर पूर्व में एकल भूखण्ड के लिए समर्पित 5 प्रतिशत सुविधा क्षेत्र को ले-आउट प्लान के कुल क्षेत्रफल और सुविधा क्षेत्र की गणना में सम्मिलित किया जा सकेगा. साथ ही स्थानीय निकाय द्वारा पूर्व में एकल पट्टा प्रयोजनार्थ जमा कराई गई राशि का ले-आउट प्लान अनुमोदन के बाद समायोजन किया जा सकेगा.

टॉउनशिप पॉलिसी-2010 और राजस्थान नगरीय क्षेत्र नियम 2012 में निजी विकासकर्ता की योजनाओं में कैम्प लगाकर पट्टे देना या कैम्प की तारीख के बाद पट्टा देने पर 15 प्रतिशत की दर से ब्याज लेने का कोई प्रावधान नहीं है. जेडीए और कुछ अन्य निकायों द्वारा अपने स्तर पर ही ये कार्यवाही की जा रही है, जिससे भूखण्डधारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे प्राधिकरणों और निकायों द्वारा निजी विकासकर्ता की योजना में भूखण्डधारियों द्वारा पट्टे लेने के आवेदन करने पर बिना कैम्प, बिना ब्याज के राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई दरों पर पट्टे दिये जाने की कार्रवाई करनी होगी.

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निजी विकासकर्ताओं/खातेदार की योजनाओं में टोटल-स्टेशन सर्वे कर ले-आउट प्लान तैयार किये जाते हैं. ऐसी स्थिति में प्रत्येक भूखण्ड का पट्टा देते समय मौका निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है. स्वीकृत ले-आउट प्लान के अनुसार पट्टे दिये जा सकते है. विशेष स्थिति में सिर्फ कॉर्नर भूखण्डों की मौके की रिपोर्ट प्राप्त की जा सकती है. निजी विकासकर्ता/ खातेदार द्वारा 12.5 प्रतिशत रहन रखे गये भूखण्डों का टाउनशिप पॉलिसी 2010 के अनुसार चार्टेड इंजीनियर द्वारा जारी किये गये अधिवास प्रमाण-पत्र के आधार पर ही रहन मुक्त होंगे. विशेष परिस्थितियों में 5-10 प्रतिशत प्रकरणों में अधिवास प्रमाण-पत्र की जांच करवाई जा सकती है.

नाम हस्तान्तरण के प्रकरणों के निस्तारण के लिए उत्तराधिकार को पंजीकृत विक्रय पत्र, पंजीकृत गिफ्ट आदि के मामले में समाचार पत्रों में विज्ञप्ति प्रकाशित करवाने की आवश्यकता नहीं है. मास्टर प्लान की प्रस्तावित सड़कों, रिंग रोड और बाइपास का डिमार्केशन/ चिन्हिकरण मौके पर कराया जाना आवश्यक है. ताकि आम लोगों को मौके पर प्रस्तावित सड़कों की जानकारी हो सके. ताकि सड़कों पर अवैध रूप से मकानों / कॉलोनियों का निर्माण नहीं हो सके. साथ ही सभी शहरों/कस्बों में रिसोर्ट के लिए न्यूनतम पहुंच मार्ग 12 मीटर रखा जाना सुनिश्चित किया जायेगा.

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