जयपुर. विदेशी प्रजाति के जीव की जानकारी वन विभाग को देना जरूरी होगा. विदेशी जीव की जानकारी देने के साथ ही उसका रजिस्ट्रेशन कराना भी जरूरी होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद ऑनलाइन सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा. अगर कोई भी व्यक्ति विदेशी प्रजाति का जीव रखता है तो उसकी 6 महीने में जानकारी देना जरूरी होगी. बिना परमिशन के या बिना जानकारी के विदेशी जीव को पालना गैरकानूनी होगा.
वन विभाग विदेशी जीवों का करेगा रजिस्ट्रेशन वह चाहे लव बर्ड्स हो, मकाउ तोता हो, अफ्रीकी तोते, विदेशी चूहा, विदेशी कछुए, विदेशी छिपकली समेत ऐसे सैकड़ों प्रजातियों के जीव हो जो भारत में नहीं पाए जाते. इन जीवों की गहन निगरानी अब वन विभाग करेगा और प्रदेश में मौजूद ऐसे सभी जीवो का एक डाटा बैंक तैयार होगा. राजस्थान में विदेशी प्रजाति के वन्यजीव आयात के मामलों को लेकर वन विभाग एडवाइजरी जारी कर शुक्रवार से ही आदेश निकाल रहा है कि राजस्थान में ऐसे सभी लोग विदेश से लाए गए जीवों को पाल रहे हैं या उन्हें बेचने का कारोबार कर रहे हैं. उन्हें जानकारी वन विभाग से साझा करनी होगी.
हाल ही में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जिंदा विदेशी जीवों को आयात करने की प्रक्रिया को कारगर बनाने और औपचारिक रूप से इसकी जानकारी जारी करने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है. उसके बाद राजस्थान वन विभाग की ओर से भी यह एडवाइजरी जारी करते हुए कहा गया है कि राजस्थान में भी ऐसे जीवों को रखने वालों ने प्रजनन करने या उनके कारोबार की घोषणा करनी होगी और रजिस्ट्रेशन कराना होगा. वन विभाग ने इसके लिए एक फॉर्मेट जारी किया है, जिसके मुताबिक इसके लिए राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की अनुमति अनिवार्य कर दी गई है.
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प्रदेश में बहुत से लोग ऐसे जीवों को पालतू बनाकर पालना पसंद करते हैं, जो विदेश से लाए जाते हैं. इनमें ज्यादातर विदेशी नस्ल के पक्षी होते हैं. इनमें लव बर्ड्स, मकाउ तोता, अफ्रीकी तोते, चूहे, विदेशी कछुए, विदेशी छिपकली समेत ऐसे सैकड़ों प्रजातियों के जीवों का आजकल कारोबार किया जाता है. लोग उन्हें फालतू बनाकर घरों में रखते हैं. अब तक उसका कोई रिकॉर्ड नहीं हुआ करता था. भारतीय नहीं होने की वजह से अभी तक यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के दायरे से बाहर है, लेकिन अब इन विदेशी प्रजातियों के जीवों का लेखा-जोखा भी वन विभाग अपने पास रखेगा. ऐसे जीवों की आधिकारिक तौर पर घोषणा के लिए वन विभाग सभी को 6 महीने का समय देगा. अगर इस दौरान कोई अपने पास मौजूद ऐसे एग्जॉटिक एनिमल्स की जानकारी छुपाएगा तो उसके पास मौजूद वन्यजीवों को गैरकानूनी माना जाएगा.
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6 महीने में सभी को ऐसे जीवों कि खुद आगे आकर घोषणा करनी होगी. जिसका वन विभाग पंजीकरण करेगा. 1 जनवरी 2020 तक की स्थिति के हिसाब से ऐसे जीवों के मालिक या उनका स्टॉक रखने वालों का मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की ओर से परिवेश पोर्टल के जरिए पंजीकरण किया जाएगा. उनके स्टाफ की जानकारी दी जाएगी और विदेश से आयात किए गए. ऐसे जीवों के फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की ओर से एक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा. यह अधिकारी उस जगह का मुआयना भी करेगा, जहां ऐसे जीवों को रखा जाता है. इस तरह मामलों में विदेश से अब ऐसे नए जीव आयात करने से पहले भी सभी आयातकों को मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से एक बार अपना पंजीकरण कराना होगा. साथ ही इन जीवों के लिए आवास की सुविधाओं का विवरण भी देना होगा.