राजस्थान

rajasthan

Political crisis: मंत्रियों-विधायकों के इस्तीफे के बीच धीमी पड़ी फ्लैगशिप योजनाओं की गति

By

Published : Sep 29, 2022, 12:10 AM IST

प्रदेश की सियासत में मुख्यमंत्री को लेकर हाईवोल्टेज पॉलिटिक्स चल रही (Political crisis in Rajasthan) है. इस बीच मंत्री-विधायकों के इस्तीफे ने सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं की गति को भी धीमा कर दिया है. साथ ही कई उद्घाटन और शिलान्‍यास के कार्यक्रम जो नवरात्र में होने थे, वे रुक गए हैं. वहीं ब्यूरोक्रेसी भी वेट एंड वॉच की स्थिति में बने हुए हैं.

Rajasthan flagship schemes slowed down during political crisis
राजस्थान हाईवोल्टेज पॉलिटिक्स: मंत्रियों-विधायकों के इस्तीफे के बीच धीमी पड़ी फ्लैगशिप योजनाओं की गति

जयपुर. प्रदेश में कांग्रेस विधायकों के इस्‍तीफे से उपजे राजनीतिक संकट से सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं की गति धीमी हो गई (Government Schemes slowed down in Rajasthan) है. मंत्रियों के इस्‍तीफा देने और नए सीएम को लेकर चल रही उठापटक के चलते कई योजनाओं के शिलान्‍यास और उद्घाटन के कार्यक्रम रुके हुए हैं. नए टेंडर और वित्‍तीय स्‍वीकृति के मामलों में भी सियासी संकट का असर देखने को मिल सकता है.

टकराव बढ़ा तो योजनाओं पर पड़ेगा असर:राजनीति के जानकारों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस में चल रहा टकराव अगर लंबे समय तक चला, तो जल्द ही इसका असर सरकारी कामकाज पर भी नजर आएगा. 5 दिन से चल रहे इस हाईवोल्टेज ड्रामे ने सरकार की कई फ्लैगशिप योजनाओं की गति धीमी कर दिया. वहीं नई घोषणाओं पर भी इस संकट का असर दिख सकता है. सरकार की कई बजट घोषणाओं को अंतिम रूप देने का यही वक्त था. लेकिन, सियासी घटनाक्रम से कई प्रोजेक्टों पर असर पड़ने लगा है. गहलोत सरकार की फ्लैगशिप योजना प्रशासन शहरों-गांवों के संग अभियान, इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना, चिंरजीवी योजना और विभिन्न शहरों में चल रहे विकास कार्यों के प्रभावित होने की आशंका है.

पढ़ें:Rajasthan Crisis: सोनिया ने गहलोत को नहीं दिया मिलने का समय !

मंत्रियों के इस्तीफे से विभाग का काम रुका:मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में ज्यादातर मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों ने रविवार को अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी को सौंपा. निर्णय नहीं होने से वे अभी पद पर जरूर हैं, लेकिन नैतिकता के आधार पर मंत्री संबंधित विभाग की ना तो बैठकें ले सकते हैं और ना कोई निर्देश जारी सकते हैं. फाइलों पर भी वे साइन नहीं कर सकते. यह स्थिति कब तक रहेगी, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. जिसके चलते कई कार्यों पर इसका असर जल्द ही दिखेगा. हालांकि प्रशासनिक स्तर पर फैसले लिए जा सकते हैं, लेकिन ब्यूरोक्रेसी में भी वेट एंड वॉच की स्थिति बनी रहेगी.

इन योजनाओं पर पढ़ रहा असर

  • नवरात्र में सोडला एलिवेटेड रोड का उद्धाटन होना था, लेकिन सियासी घटनाक्रम से नहीं हो पाया उद्धघाटन.
  • अक्टूबर में होने वाले इन्वेस्टमेंट समिट पर भी असर दिख रहा है. 7-8 अक्टूबर को इन्वेस्टमेंट समिट होना है. उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने इस्तीफा दे रखा है. अगर ये सियासी घटनाक्रम लंबा चलता है तो समिट पर इसका बड़ा असर दिखेगा.
  • राजकीय कॉलेजों के शिलान्यास का कार्यक्रम भी रुका. राजकीय कॉलेजों का इसी नवरात्र में शिलान्यास करना था. ये बजट घोषणा का हिस्सा है, लेकिन सियासी घटनाक्रम ने इस शिलान्यास को रोक दिया.
  • 2 अक्टूबर को शुरू होने वाली बाल गोपाल दूध योजना पर भी इसका असर पड़ता दिख रहा है. इस योजना के शुभारंभ पर संशय बना हुआ है. गहलोत इसे शुरू करने वाले थे.
  • महिलाओं को स्मार्टफोन देने की योजना पर भी इसका असर दिख सकता है. इस स्मार्टफोन में सीएम गहलोत की फोटो के साथ सरकार की जन कल्याणकारी योजना की जानकारी होगी, लेकिन अगर सीएम बदलता है, तो इस प्रोजेक्ट में नए सिरे से काम करना पड़ेगा.
  • सरकारी कर्मचारियों काे दीवाली पर मिलने वाले बोनस पर भी इसका असर दिख सकता है. सरकार इन हालातों में वितीय प्रबंधन पर काम नहीं कर पा रही है. ऐसे में बोनस लेट जो सकता है.
  • मंत्री शंकुतला रावत के इस्तीफे के बीच वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना की लॉटरी निकलने में देरी होगी.
  • दूसरे चरण में खुलने वाली इंंदिरा रसोई सरकार की अस्थिरता के बीच बजट प्रावधान नहीं होने से योजना को लेट किया जा सकता है.
  • प्रदेश में महिलाओं को फ्री सेनेटरी पैड योजना के दूसरे चरण की उड़ान योजना पर ब्रेक लग सकता है. क्योंकि मंत्री इस्तीफा दे चुकी हैं, जब तक मंत्री नहीं होगी, टेंडर जारी नहीं हो सकते.

पढ़ें:राज्य कर्मचारियों को दिवाली से पहले तोहफा, गहलोत सरकार ने 4 फीसदी बढ़ाया डीए

लंबा खिंचेगा मामला, फिर आ जाएंगे गुजरात चुनाव :राजस्थान कांग्रेस में अभी जो हालात बने हुए हैं, उन्हें देखते हुए मामला लंबा खिंचने की आशंका जताई जा रही है. यह विवाद 19 अक्टूबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने तक चल सकता है. इसी तरह गहलोत समर्थक विधायकों ने जो शर्तें रखी हैं, उन्हें भी तत्काल और पूरी तरह मानना कांग्रेस आलाकमान के लिए संभव नहीं है. अगले माह के अंत तक गुजरात में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है. मुख्यमंत्री गहलोत समेत कई मंत्री, विधायक और प्रदेश के नेताओं को वहां की जिम्मेदारी मिली हुई है. वे इन चुनावों में व्यस्त हो जाएंगे.

पढ़ें:सियासी संकट में किसान को भूली राजस्थान सरकार, अब बाजरे की खरीद के नाम पर हो रही सियासत

मुख्यमंत्री बदला, तो होगा भारी बदलाव:जानकारों का कहना है कि राजस्थान कांग्रेस में सियासी विवाद के बीच मुख्यमंत्री बदला जाता है, तो मंत्रिमंडल और उसके बाद प्रशासनिक फेरबदल होना लगभग तय है. ऐसे में सरकार को पटरी पर आने में समय लगेगा. दूसरे, यदि मुख्यमंत्री पद पर अशोक गहलोत बने रहते हैं, तो भी पायलट खेमे के मंत्री और विधायक सरकार को किस तरह सहयोग करेंगे, यह भी एक बड़ा सवाल उठ रहा है. निर्णय जो भी हो, इस सियासी संकट के बाद राजस्थान कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ेगी और इसका सीधा असर सरकार के कामकाज पर पड़ेगा. पिछली बार जब जुलाई 2020 में सचिन पायलट गुट ने बगावत की थी, उसके बाद कई महीनों तक सरकारी कामकाज प्रभावित हुआ था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details