जयपुर. प्रदेश के सहकारी बैंक से जुड़े कर्मचारी अपनी 11 सूत्री मांग पत्र को लेकर आंदोलनर (Meeting on 11 Point Demand Letter) की राह पर अग्रसर हैं. रविवार को राजस्थान कोऑपरेटिव बैंक एम्पलाइज यूनियन की बैठक में यह साफ कर दिया गया कि यदि जल्द ही सरकार ने मांग पत्र पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो कर्मचारी आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे. संभवता 19 सितंबर में शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान कर्मचारी सड़कों पर उतर सकते हैं.
रविवार को सी स्कीम स्थित तारक भवन ऑल राजस्थान कोऑपरेटिव बैंक एंप्लाइज यूनियन और ऑफिसर्स एसोसिएशन की संयुक्त बैठक हुई. जिसमें राजस्थान के सभी सहकारी बैंकों से जुड़े यूनियन के अध्यक्ष और सचिव के साथ प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए. इस दौरान सरकार के समक्ष जनवरी 2019 से लंबित पड़े सहकारी बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों को देय 16वें वेतन समझौते के अब तक के अनुमान नहीं होने पर नाराजगी जताई गई.
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कर्मचारियों का कहना था कि सरकार ने इसके लिए कमेटी का गठन (Rajasthan Cooperative Bank Employees Union Meeting) तो कर दिया, लेकिन अब तक वार्ता का दौर शुरू नहीं हुआ. इसी तरह सहकारी बैंकों में खाली पड़े रिक्त पदों और अन्य विभागों की तरह सहकारी बैंक कार्मिकों को भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की भी मांग की गई. एंप्लाइज यूनियन की इस बैठक में निम्न बिंदुओं पर चर्चा हुई जो इस प्रकार है.
- जनवरी 2019 से राज्य के सहकारी बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों को देय 16वें वेतन समझौते के मांग पत्र पर सरकार द्वारा गठित कमेटी द्वारा वार्ता शुरू करना.
- सहकारी बैंकों में स्टाफ स्ट्रेन्थ में बढ़ोतरी कर रिक्त पदों पर भर्ती शुरू करना.
- सहकारी बैंक कार्मिकों को सामाजिक सुरक्षा के लिए ओल्ड पेन्शन लागू करना.
- सहकारी बैंकिंग की त्रि-स्तरी (13-Tier) व्यवस्था को द्वि-स्तरीय (2 Tier) करना.
- रबी फसली ऋण वितरण की बढ़ाई गई वसूली अवधि में देय 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान का सहकारी बैंकों को सरकार द्वारा भुगतान जारी करना.
- स्पिनफेड से सहकारी बैंकों में समायोजित कार्मिकों को बैंक पदनाम के अनुरूप बैंक वेतनमान एवं सुविधाओं का भुगतान जारी करना.
- परीक्षा अवधि पूर्ण होने पर भी कार्मिकों के लम्बित स्थायीकरण आदेश जारी करना.
- सहकारी बैंकों के कार्मिकों को देय 15 दिवस उपार्जित अवकाश नकद भुगतान एवं सेवानिवृति पर देय 300 दिवस उपार्जित अवकाश का विभाग/सरकार स्तर पर लम्बित भुगतान जारी करना.
- बैंकों में कार्मिकों को बैंकिंग परिप्रेक्ष्य के व्यवहारिक एवं पेशेवर प्रशिक्षण दिलवाया जाना.
- सहकारी बैंकों में लम्बित अन्तर बैंक सेवा स्थानान्तरण शुरू करना.
- जयपुर में सहकारी बैंक युवा कार्मिक एवं महिला अधिवेशन आयोजन पर विचार करना.
यूनियन के प्रांतीय महासचिव सूरजभान सिंह के अनुसार सरकार की नीतियों के चलते आज सरकारी बैंकों आर्थिक स्थिति खराब हो चुके हैं, लेकिन सरकार ना तो समय पर अनुदान की राशि का भुगतान करती है और सहकारिता से जुड़े बैंकों की मजबूती के लिए कोई सकारात्मक निर्णय भी नहीं लेती है. ऐसे में कर्मचारी जल्द ही सरकार पर दबाव बनाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे.