जयपुर. भले ही राजस्थान में कांग्रेस पार्टी 50 लाख मेंबर नहीं बना सकी हो. लेकिन सदस्यता अभियान की तारीख (Reality of Congress Digital Membership) 31 मार्च से बढ़ाकर 15 अप्रैल की गई तो कांग्रेस पार्टी ने अंतिम 15 दिनों में करीब 13 लाख मेंबर बनाकर अपनी लाज बचा ली है. अभी इस संख्या में 15 अप्रैल की भी संख्या जुड़ेगी जो कि कल ही अपडेट होगी. जबकि अभी तक यह संख्या 14 लाख 98 हजार 906 हो गई है.
हालांकि, इसके बाद भी पार्टी 50 लाख मेंबरशिप से काफी दूर है. लेकिन पार्टी पदाधिकारियों का मानना है कि (Rajasthan Congress Politics) ऑफलाइन मेंबरशिप को भी अगर जोड़ लिया जाए तो यह संख्या करीब 25 लाख तक पहुंच जाएगी. सर्वाधिक सदस्यता करवाने वाली विधानसभा चित्तौड़गढ़ है, जहां विधायक भाजपा के हैं. यही हाल फलोदी विधानसभा का है, जहां से भी विधायक भाजपा के हैं, लेकिन सदस्यता कांग्रेस पार्टी की सबसे ज्यादा हुई है.
बसपा से कांग्रेस में आए विधायक और निर्दलीयों की शिकायतें हुई सही साबितः सदस्यता अभियान में अगर परफॉर्मेंस की बात की जाए तो जो शिकायतें निर्दलीय और बसपा से आए कांग्रेस विधायकों की विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे विधायकों ने की थी. वह काफी हद तक सही साबित हुई है. क्योंकि निर्दलीय विधायकों में से दूदू से बाबूलाल नागर, बस्सी से लक्ष्मण मीणा और महुआ से ओम प्रकाश हुडला को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी निर्दलीय विधायक अपने विधानसभा में 1000 से कम मेंबर बना सके हैं.
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वहीं, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों में से भी केवल एक दीपचंद खेरिया ऐसे विधायक रहे हैं, जिनकी विधानसभा में सदस्य बने हैं. वरना बसपा से कांग्रेस में आया एक भी विधायक अपनी विधानसभा में सही से मेंबरशिप नहीं करवा पाया है. बता दें कि निर्दलीय विधायकों और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों की विधानसभाओं से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे नेताओं ने यह आरोप लगाए थे कि कांग्रेस के समर्थित विधायक कांग्रेस को कमजोर कर रहे हैं और मेंबरशिप भी नहीं करवाने दे रहे.
11 कांग्रेस विधायकों की विधानसभा में भी 1000 से कम मेंबरः प्रदर्शन केवल निर्दलीयों या बसपा से आए विधायकों का ही खराब नहीं रहा है. बल्कि मंत्री विश्वेंद्र सिंह समेत कुल 11 कांग्रेस के विधायक ऐसे हैं (Rajasthan Congress MLA Poor Performance in Digital Membership) जिनकी विधानसभा में 1000 से कम मेंबर बन सके हैं.