जयपुर. देश में एक बार फिर जातिगत जनगणना को करवाने को लेकर मांग तेज होने लगी है. केंद्र सरकार के अलायंस दल के रूप में नीतीश कुमार ने बिहार में यह मांग उठाई लेकिन राजस्थान के भाजपा के नेताओं ने इस मांग से दूरी बना रखी है. हालांकि, अब राजस्थान के कांग्रेस से जुड़े नेता जातिगत जनगणना की मांग उठाना शुरू कर चुके हैं.
जातिगत जनगणना को लेकर दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में भारत के ओबीसी से जुड़े अलग अलग पार्टियों के विधायक और नेता गैर राजनीतिक मंच पर महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल के नेतृत्व में नजर आए. राजस्थान से इस मंच में शामिल होने के लिए राजस्थान कांग्रेस के ओबीसी विभाग के संयोजक राजेंद्र सेन ने भी हिस्सा लिया और मंच से ओबीसी आरक्षण को एससी-एसटी आरक्षण की तर्ज पर संवैधानिक मान्यता दिए जाने और ओबीसी की जातिगत जनगणना करने की मांग रखी. सेन ने कहा कि देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए. यह इसलिए जरूरी है, जिससे यह पता लग सके कि किस जाति की कितनी जनसंख्या है. जातिगत जनगणना से ही आरक्षण में 'जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी' का फार्मूला लागू किया जा सकेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि ओबीसी जिसे लेकर यह कहा जाता है कि वह 55% नहीं है. अगर जातिगत जनगणना होगी तो यह साफ हो जाएगा कि ओबीसी की संख्या देश में क्या है? इसके साथ ही जातिगत जनगणना से यह भी लाभ होगा कि ओबीसी की कुछ जातियों को तो ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) का ज्यादा लाभ मिल जाता है. कुछ जातियां ऐसी हैं, जिन को पूरा लाभ नहीं मिल पाता है. ऐसे में जातिगत जनगणना के बाद आरक्षण में हिस्सेदारी हो जाएगी. जो छोटी जातियां हैं, उनको भी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.