जयपुर. प्रदेश में मंडावा और खींवसर सीटों पर उपचुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होने जा रहा है. नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे. ऐसे में पार्टियों के पास प्रचार के लिए केवल 10 दिन ही शेष बचे हैं. लेकिन प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस इन दिनों निकाय चुनावों ज्यादा फोकस नजर आ रही है.
दरअसल, नवंबर माह में होने वाले निकाय चुनाव की रणभेरी बजने वाली है. ऐसे में कांग्रेस के कई बड़े नेता निकाय चुनावों में रूची दिखा रहे हैं. लेकिन राज्य की दो सीटों पर उपचुनाव के अलावा अभी इस बात का फैसला होना बाकि है कि निकाय चुनाव प्रत्यक्ष होंगे यां अप्रत्यक्ष. कांग्रेस सरकार की धारीवाल कमेटी इस पर फैसला करेगी. हालांकि ये तय माना जा रहा है कि निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष कराए जाएंगे.
राजस्थान कांग्रेस का फोकस उपचुनाव से ज्यादा निकाय चुनावों पर! ऐसी स्थिति में कांग्रेस की ओर से सीदे महापौर और पालिकाध्यक्ष नवाजे जाने की चाह रखने वाले कई बड़े नेता इस दौड़ से बाहर होते दिख रहे हैं. क्योंकि अगर महापौर के लिए वह अपना दावेदारी दिखाते भी हैं तो इसके लिए उन्हें पहले पार्षद का चुनाव लड़ना पड़ेगा. ऐसे में उनके सामने हार का संकट बना रहेगा. अकेले जयपुर के चुनावों पर नजर डालें तो करीब 3500 कांग्रेस नेता पार्टी के समक्ष पार्षद के लिए आवेदन कर चुके हैं.
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उधर राजस्थान में उपचुनाव को लेकर कांग्रेस में कोई शोर दिखाई नहीं दे रहा. पार्टी के प्रदेश कार्यालय से लेकर सरकार तक विधानसभा उपचुनाव के बजाय निकाय चुनाव को लेकर जोर आजमाइश चल रही है. प्रदेश के प्रभारी से लेकर सभी नेता निकाय चुनाव के मंथन में ज्यादा उलझे नजर आ रहे हैं. जिला कार्यालयों में भी निकाय चुनावों का ही शोर नजर आ रहा है. कई नेताओं ने अपने-अपने चहेतों के लिए पार्षद के टिकट की लॉबिंग भी शुरू कर दी है.
हालात यह है कि विधानसभा उपचुनाव में नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब प्रचार के लिए केवल 10 दिन ही शेष बचे हैं, कांग्रेस अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि स्टार प्रचारकों के दौरे कहां-कहां होंगे. हालांकि कांग्रेस ने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. लेकिन कौनसा प्रचारक कहां जाएगा, इस बारे में अभी तय नहीं हो पाया है.
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स्टार प्रचारकों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, सरकार में सभी मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का नाम शामिल है. चुनावी सभाओं के लिए अब महज 10 दिन का समय शेष है. 19 अक्टूबर की शाम प्रसार का शोर थम जाएगा. जिस तरीके से कांग्रेस नेता निकाय चुनाव में अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की लॉबिंग और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष चुनाव के फैसले पर उलझे हैं, इससे यह लगता नहीं है कि पार्टी का फोकस उपचुनाव पर भी है.