जयपुर. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की ओर से विधानसभा में पारित 'राजस्थान विवाह का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 2021 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. बाल विवाह पंजीकरण करने के प्रावधान पर आपत्ति जताकर विधेयक की संवैधानिक वैधता को सारथी ट्रस्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी है.
सारथी ट्रस्ट की ट्रस्टी डॉ. कृति भारती ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जनहित याचिका के जरिये हाईकोर्ट से बाल विवाह रजिस्ट्रेशन कर राजस्थान को चाइल्ड मैरिज हब बनने से बचाने की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर भ्रमित करने की कोशिश की है.
डॉ. कृति भारती ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में सरकार ने 17 सितम्बर को राजस्थान विवाह का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 2021 पारित किया. इस संशोधन विधेयक में सरकार ने 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लडके के बाल विवाह के बावजूद एक माह में रजिस्ट्रेशन किए जाने का प्रावधान किया है. इस संशोधन के जरिए सरकार ने बाल विवाह की कुप्रथा को पंजीकृत मान्यता देने की कवायद की है, जबकि बाल विवाह संज्ञेय अपराध है. डॉ. कृति भारती ने बताया कि राजस्थान विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित हुआ है. विधेयक से राजस्थान के मासूम बच्चे प्रभावित हो रहे हैं, ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट का सुनवाई का प्राथमिक क्षेत्राधिकार है. राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर बेंच में जनहित याचिका पेश की गई है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या
याचिकाकर्त्ता सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती ने जनहित याचिका में बताया कि सरकार ने राजस्थान विवाह अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक पारित करने के तर्क में सुप्रीम कोर्ट के 15 साल पुराने वर्ष 2006 के एक आदेश की भी गलत व्याख्या की है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी पूरी तरह से पालना नहीं की गई है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन कहती है कि सरकार अगर कोई भी संशोधन विधेयक लेकर आती है तो उससे पहले वह एक महीना पब्लिक ऑपिनियन लेगी, किसी भी तरह की आपत्तियों पर चर्चा होगी, सामाजिक संगठनों से बात करेगी. लेकिन इस बिल में सरकार ने किसी तरह से कोई पब्लिक ओपिनियन नहीं ली, न ही सामाजिक संगठनों से इस विषय पर चर्चा की.