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राजस्थान में फेरबदल से पहले 'मुलाकात' होगी...लेकिन पेंच अटका पायलट की भूमिका पर, समझिये पूरा समीकरण

प्रदेश कांग्रेस में राजनीतिक परिवर्तनों को लेकर कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत पहले सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात के बाद ही राजस्थान में कैबिनेट विस्तार या फेरबदल होगा, लेकिन पेंच पायलट की भूमिका पर अटका है. यहां समझिये पूरा समीकरण...

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गहलोत पहले सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे

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Published : Oct 19, 2021, 7:10 PM IST

जयपुर. राजस्थान में अब तक कहा जा रहा था कि जिस दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली चले जाएंगे, उसी दिन मंत्रिमंडल विस्तार या पुनर्गठन, राजनीतिक नियुक्तियों और संगठन के विस्तार जैसे सभी निर्णय कर लिए जाएंगे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में शामिल होने के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ राजस्थान से संबंधित मामलों पर चर्चा कर जयपुर लौट आए हैं, लेकिन अब भी यह नहीं लग रहा कि राजस्थान में कैबिनेट विस्तार या पुनर्गठन को लेकर कोई फैसला हो सका है.

दरअसल, राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार या पुनर्गठन को लेकर कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे, उसके बाद ही राजस्थान के राजनीतिक परिवर्तनों को लेकर अंतिम निर्णय होगा. इस बीच अब देखने वाली बात यह होगी कि आखिर कब और कैसे केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान कांग्रेस में बदलाव कर सियासी अटकलों पर विराम लगा पाता है.

राजस्थान कांग्रेस में बदलाव और विस्तार के समीकरण...

मामला अटका पायलट की भूमिका राजस्थान या राष्ट्रीय हो, इस पर...

राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर अब कहा जा रहा है कि इस मामले पर पायलट गुट और गहलोत गुट में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है, बल्कि विवाद राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट की आगामी भूमिका को लेकर है.

दरअसल, गहलोत गुट यह चाहता है कि सचिन पायलट को कांग्रेस पार्टी एआईसीसी में कोई पद देकर उन्हें राष्ट्रीय भूमिका में सक्रिय रखे, जबकि पायलट कैंप राजस्थान नहीं छोड़ना चाहता. ऐसे में कहा जा रहा है कि पायलट कैंप अपने लिए फिर से सचिन पायलट के लिए प्रदेश अध्यक्ष पद चाहता है. यहां तक कहा जा रहा है कि सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान से यहां तक कह दिया है कि वह बिना पद के कांग्रेस पार्टी के लिए काम करने के लिए तैयार हैं.

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लेकिन कांग्रेस पार्टी के साथ दिक्कत यह है कि अगर बिना पद के सचिन पायलट को चुनावी राज्यों में सक्रिय किया जाता है तो सचिन पायलट जहां भी कांग्रेस के समर्थन में वोट मांगने जाएंगे, वहां जनता पायलट के चेहरे में शोषित पायलट का चेहरा देख सकती है. यहां तक कि चुनावी राज्यों में विपक्षी दल भाजपा सचिन पायलट को लेकर ऐसी ही बयानबाजी कर सकती है, जिससे कांग्रेस को फायदा होने की जगह नुकसान हो सकता है.

ऐसे में कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट को किसी पद के साथ ही चुनावी राज्यों में सक्रिय भूमिका देगी. अब वह भूमिका राष्ट्रीय कांग्रेस में होगी या राजस्थान कांग्रेस में यह आने वाला समय बताएगा.

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