जयपुर.राजस्थान में एक अजीब पॉलीटिकल ट्रेंड रहा है. किसी विधायक के निधन से खाली हुई सीट पर परिजन को टिकट दिया गया, लेकिन परिजन सहानुभूति की लहर से वंचित ही रहे. आज तक किसी भी दिवंगत विधायक के परिजन ने उपचुनाव में जीत दर्ज नहीं की है. भले वो मुख्यमंत्री का ही परिजन क्यों न रहा हो.
राजस्थान में अब तक विधायकों या सामान्य चुनाव में ही किसी विधायक प्रत्याशी के निधन के चलते 20 बार उपचुनाव हुए हैं. इनमें से 9 उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीता. 8 बार भारतीय जनता पार्टी ने उपचुनाव में जीत दर्ज की. 2 बार जनता पार्टी और एक बार एनसीजे पार्टी के विधायक बने. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इन 20 उपचुनाव में जिन विधायकों का निधन हुआ उनके परिजन टिकट पाने के बाद जीत हासिल नहीं कर सके.
1965 में राजाखेड़ा विधायक प्रताप सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे एम सिंह ने चुनाव लड़ा. लेकिन वह हार गए. इसके बाद 1978 में रूपवास विधायक ताराचंद की मृत्यु के बाद उनके बेटे ने चुनाव लड़ा. वह भी चुनाव हार गए. 1988 में खेतड़ी विधायक मालाराम के निधन के बाद उनके बेटे एच लाल को टिकट दिया गया लेकिन वह भी चुनाव हार गए.
साल 1995 में बयाना विधानसभा से विधायक बृजराज सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे शिव चरण सिंह को टिकट दिया गया लेकिन वह भी चुनाव हारे. यहां तक कि साल 1995 में बांसवाड़ा विधानसभा के विधायक पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी के निधन के बाद जब उनके बेटे दिनेश जोशी को पार्टी ने टिकट दिया लेकिन वे सीट नहीं बचा सके. साल 2000 में हुआ जब लूणकरणसर विधायक भीमसेन की मृत्यु के बाद उनके बेटे वीरेंद्र को टिकट दिया गया. नतीजा वही- हार.
साल 2002 में सागवाड़ा विधायक भीखाभाई के निधन के बाद उनके बेटे सुरेंद्र कुमार को टिकट दिया गया. वे हारे. 2005 में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई की मृत्यु के बाद उनके बेटे मलखान विश्नोई भी जीत नहीं पाए.
ऐसे में आज तक किसी विधायक के निधन पर उनके परिजनों को टिकट देने पर सहानुभूति का कोई लाभ किसी पार्टी को नहीं मिला है. अब सवाल खड़ा होता है कि राजस्थान में हो रहे 3 विधानसभा सीटों पर जो उप चुनाव हो रहे हैं उनमें दिवंगत विधायकों के परिजनों ने ही चुनाव लड़ा है. अब यह तीनों दिवंगत विधायकों के परिजन चुनाव जीतकर इतिहास बनाते हैं या फिर चुनाव हार कर इतिहास दोहराते हैं इस पर सबकी नजर रहेगी.
दरअसल राजस्थान में हुए 3 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में राजसमंद विधानसभा सीट से भाजपा ने दिवंगत विधायक किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति महेश्वरी, सहाड़ा विधानसभा से कांग्रेस के दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी को कांग्रेस ने और सुजानगढ़ विधानसभा सीट से मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल को कांग्रेस ने टिकट दिया है जो सीधे तौर पर सहानुभूति के आधार पर चुनाव जीतने की एक कवायद है.
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20 उपचुनावों में जीता कौन
1965- विधायक प्रताप सिंह के निधन के चलते हुए उपचुनाव में कांग्रेस के दामोदर व्यास राजाखेड़ा से उपचुनाव जीते.
1970- नसीराबाद विधानसभा के विधायक वी सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में एनसीजे पार्टी के एस सिंह उपचुनाव जीते.
1978- रूपवास विधानसभा सीट से विधायक ताराचंद की मृत्यु होने के बाद जनता पार्टी के टिकट पर डी राम उप चुनाव जीते. बनेड़ा विधानसभा सीट पर विधायक उमराव सिंह डाबरिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव में जनता पार्टी की टिकट पर कल्याण सिंह कालवी चुनाव जीते.