जयपुर. राजस्थान में फरवरी 2020 के पहले सप्ताह में पहला कोरोना संक्रमण का मामला सामने आया. मार्च आते-आते प्रदेश में कोरोना ने इस कदर पैर पसारे कि लॉक डाउन का फैसला लेना पड़ा. इसके बाद करीब 9 महीने के संघर्ष के बाद हालात कुछ सामान्य हुए कि कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों को फिर चपेट में ले लिया. इस बार खतरा ज्यादा बड़ा होने की वजह से प्रदेश की गहलोत सरकार के सामने आर्थिक संकट ज्यादा आ गया.
प्रदेश की जनता के लिए वैक्सीन, ऑक्सीजन और दवाइयां जुटाने में सरकार आर्थिक चुनौती से जूझ रही है. जिसका सीधा असर सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं को पर भी पड़ रहा है. कोरोना के चलते सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन और उनके कामकाज की प्रगति लगभग थम गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस बात को कह चुके हैं कि कोरोना की वजह से और केंद्र का सहयोग नहीं मिलने की वजह से सरकार को आर्थिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. इसके लिए सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं में कटौती के साथ विधायकों को इस बजट में दिए गए तीन-तीन करोड़ रुपए को भी कोरोना वैक्सीन खरीदने के लिए खर्च करेगी.
इन योजनाओं पर पड़ेगा असर
सरकार ने पूरा बजट कोरोना के उपचार में झोंक दिया है. इससे जन कल्याण की योजनाओं पर असर पड़ेगा. इनमें मुख्यमंत्री वृद्धजन, एकल नारी, विशेष योग्यजन पेंशन योजना, अन्न सुरक्षा योजना, शुभ लक्ष्मी योजना, पशुधन निशुल्क दवा योजना, दुग्ध उत्पादक संबल योजना, ग्रामीण एवं शहरी बीपीएल आवास योजना, ब्याज मुक्ति फसल ऋण योजना, बीपीएल जीवन रक्षा कोष, राजीव गांधी विद्यार्थी डिजिटल योजना, उच्च शिक्षा छात्रवृति योजना, कौशल विकास योजना, ग्रामीण सड़क विकास योजना, वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना, राजस्थान वृद्ध आश्रम योजना और शुद्ध के लिए युद्ध योजनाएं शामिल हैं.