उदयपुर.राजस्थान भाजपा में पिछले काफी समय से गुटबाजी की खबरें सामने आ रही थी. लेकिन पार्टी के नेता हमेशा इस बात को नकारते रहते थे और सब ठीक होने की बात कहते थे. 28 जून को कुछ ऐसा हुआ कि भाजपा में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई. राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया का एक 22 साल पुराना पत्र वायरल हो गया. यह पत्र पूनिया ने 1999 में प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद पर रहते हुए लिखा था और उसमें भाजपा के बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे. मंगलवार को उदयपुर दौरे पर पहुंचे सतीश पूनिया ने इस वायरल पत्र पर अपनी सफाई दी.
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सतीश पूनिया ने कहा कि 22 साल पहले लिखे पत्र को अब सामने लाना सोचे समझे षड्यंत्र का हिस्सा है. उस पत्र में मैंने पार्टी कार्यकर्ताओं के हक की आवाज उठाई थी. उस पत्र के ठीक बात पार्टी ने मुझे राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य बनाया, पंजाब का प्रभार और दूसरे कई मोर्चों का अध्यक्ष बनाया. वह पत्र लिखना कोई अनुशासनहीनता नहीं थी. अगर ऐसा होता तो मैं फांसी पर चढ़ने को तैयार होता. लेकिन अब उस लेटर को वायरल करके कुछ लोग ध्यान भटकाना चाहते हैं.
सतीश पूनिया का 22 साल पुराना पत्र वायरल व्यक्तिगत रूप से टारगेट किया जा रहा है
पूनिया ने इशारों ही इशारों में वसुंधरा राजे खेमे पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ट्वीटर और घर से मदद करने की बजाय उन्होंने कोरोना में जमीन पर जाकर लोगों की मदद. इस दौरान दो बार कोरोना संक्रमित भी हुए. जो लोग ऐसा सोचते हैं कि ये सब करके वो अनुशासनहीनता के मामले में कार्रवाई से बच जाएंगे तो वो गलत हैं. पूनिया ने कहा कि उनको व्यक्तिगत रूप से टारगेट करने के लिए पत्र वायरल किया गया है. और हो सकता है आगे भी ऐसा कुछ होता रहे लेकिन वो पूरी तरह से डटकर इन सबका सामने करेंगे.
22 साल पहले लिखे पत्र में पूनिया ने क्या कहा था
1999 में सतीश पूनिया ने चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर प्रदेश भाजपा के युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. तब उन्होंने तत्काली प्रदेश अध्यक्ष गुलाबचंद कटारिया को पत्र लिखकर भैंरो सिंह शेखावत,ललित किशोर चतुर्वेदी और हरिशंकर भाभड़ा जैसे बड़े नेताओं पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया था. पूनिया ने वर्तमान में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और पूर्व सांसद रामसिंह कस्वां को भस्मासुर तक बता दिया था.