जयपुर. राजस्थान भाजपा के नेताओं में अब प्रवास पॉलिटिक्स तेज होती नजर आ रही है. पहले वसुंधरा का मेवाड़ा दौरा, उसके बाद पूनिया का उदयपुर-भरतपुर संभाग दौरे की काफी चर्चा हुई थी. अब एक बार फिर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पश्चिमी राजस्थान का दौरा (Satish Poonia will Visit Western Rajasthan) करने वाले हैं. ऐसे में इस सियासी यात्रा की चर्चा भी लाजिमी है कि अपने लगातार दौरों से पूनिया किसे और क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. देखिये ये रिपोर्ट...
7 से 10 जनवरी के बीच बन सकता है सियासी दौरा : बताया जा रहा है कि आगामी 7 से 10 जनवरी के बीच सतीश पूनिया का पश्चिमी राजस्थान का सियासी दौरा बन सकता है. इसके लिए संबंधित जिला इकाइयों और प्रदेश नेताओं की ओर से कार्यक्रम भी बनाए जा रहे हैं. पूनिया बॉर्डर से जुड़े जिलों में संगठनात्मक दृष्टि से यह दौरा करेंगे. जिसमें, बाड़मेर, जैसलमेर के साथ जोधपुर का क्षेत्र भी शामिल रहेगा. हालांकि, इस दौरे की तारीख का एलान अब तक नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि जनवरी के पहले पखवाड़े में ये सियासी दौरे हो जाएंगे.
लगातार जिला और संभागों में दोनों के पीछे क्या है सियासत : राजस्थान भाजपा में नेताओं की यात्रा और दौरे हमेशा सियासी चर्चाओं में रहे हैं. माना जाता है कि जब कोई नेता बड़ी सियासी यात्रा निकाले तो उसका मकसद अगला विधानसभा चुनाव Strategy for 2023 Rajasthan Assembly Election) ही होता है. पूर्व में राजस्थान भाजपा में ऐसे कई उदाहरण भी सामने आए हैं, लेकिन अब प्रचलन थोड़ा बदल चुका है. एक साथ लंबी सियासी यात्रा न निकालकर राजस्थान भाजपा से जुड़े नेता संभाग स्तर पर जिलों में छोटे-छोटे दौरे कर माहौल बनाने में जुटे हैं.
पढ़ें :वसुंधरा राजे की सक्रियता दे रही कई राजनीतिक संकेत, मेवाड़ के बाद अन्य जिलों में जुटे समर्थक
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कुछ माह पहले (Vasundhara Raje Mewar Trip) इस प्रकार के दौरे कर अपनी सक्रियता दिखा दी थी और अब प्रदेश अध्यक्ष ने हर जिले को नापना शुरू कर दिया है. हालांकि, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के नाते हर जिले में संगठन की मजबूती की जिम्मेदारी पूनिया की ही है. लिहाजा वे यदि ज्यादा दौरा करते हैं तो भी पार्टी संगठन को इससे मजबूती ही मिलेगी. लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि संगठन की मजबूती के साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष खुद भी इन दोनों से और मजबूत होंगे, जो साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण भी है.