जयपुर.उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनावी मैदान में इस बार भाजपा ने राजस्थान से बड़ी संख्या में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को जमीनी रणनीति साधने के लिए उतारा है. इन नेताओं को संगठनात्मक और चुनाव प्रबंधन से जुड़ी जिम्मेदारियां दी गई हैं. दोनों राज्यों में जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही पार्टी ने नेताओं और कार्यकर्ताओं को आगे किया है. उत्तर प्रदेश में जहां ब्राह्मण, राजपूत, जाट और ओबीसी में आने वाली कुछ जातियों के नेताओं को जिम्मेदारी दी है तो पंजाब में राजस्थान के सिख पंजाबी और दलित समाज के नेताओं को प्रमुखता से भेजा गया है.
यूपी में ब्राह्मण-ओबीसी समाज के नेताओं की ज्यादा डिमांड
बात करें उत्तर प्रदेश चुनाव की तो राजस्थान से आने वाले केंद्रीय मंत्री और बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल को यहां सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है (Social Engineering in UP Election). साथ ही राजस्थान से अन्य 97 नेताओं को उत्तर प्रदेश के 7 जिलों की 36 विधानसभा सीटों पर जिम्मेदारियां दी गई है. इनके समन्वय के लिए प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच सहित दो अन्य प्रमुख नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है.
मुकेश दाधीच सहित कुल 19 ब्राह्मण नेता और कार्यकर्ता इन जिलों में सोशल इंजीनियरिंग के लिहाज से लगाए गए हैं. वहीं जाट समाज के 9, राजपूत समाज के 9, यादव समाज के 6 ओर वैश्य समाज से आने वाले 7 नेताओं को यहां अलग-अलग विधानसभा सीटों पर जिम्मेदारी दी गई है. कुछ एक सीट पर राजस्थान के दलित समाज से आने वाले नेताओं को भी जिम्मेदारी मिली है. खुद अर्जुन राम मेघवाल जिन्हें इन चुनाव में सह प्रभारी बनाया गया है, वह दलित समाज से ही आते हैं. राजस्थान से यूपी में भेजे गए इन नेताओं में सर्वाधिक ओबीसी समाज से आने वाले नेता और कार्यकर्ता शामिल हैं.