जयपुर.आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भले ही भाजपा चुनावी मोड़ पर आ चुकी हो लेकिन पार्टी के नेताओं में एकजुटता और निर्णयों में सामूहिकता अब भी नजर कम ही आती है. ऐसा होना लाजमी भी है, क्योंकि प्रदेश से जुड़े प्रमुख नेताओं की कोर कमेटी में जिन मसलों पर सामूहिक निर्णय होना था, उस कमेटी की बैठक लंबे अरसे से हुई ही (Rajasthan BJP core committee meeting not held from long time) नहीं. जबकि पार्टी आलाकमान ने हर महीने कोर कमेटी की बैठक करने के निर्देश दिए थे लेकिन ये निर्देश फिलहाल ताक पर रखा हुआ है.
पिछले साल दिसंबर में अमित शाह ने ली थी अनौपचारिक बैठक: राजस्थान भाजपा के कोर कमेटी सदस्यों की अंतिम बैठक पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जयपुर प्रवास के दौरान हुई थी. हालांकि उस समय भी वह बैठक अनौपचारिक ही थी, जिसमें कोई खास चर्चा नहीं हो पाई थी. भाजपा प्रदेश प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने ही यह तय किया था कि पार्टी की हर माह कोर कमेटी की बैठक हो ताकि प्रदेश से जुड़े सभी बड़े मसलों पर सभी प्रमुख नेता एक जाजम पर बैठकर निर्णय लें और प्रदेश सरकार को घेरने की रणनीति बनाएं. खैर निर्णय तो ले लिया गया, लेकिन उसकी पालना ना तो प्रदेश नेतृत्व ने कराई, ना संगठन महामंत्री चंद्रशेखर और न ही प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने. मतलब पार्टी के इस अहम निर्णय को पार्टी के नेताओं ने ही ताक पर रख दिया.
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बैठक नहीं बुलाने से बढ़ी दूरियां, ये हो रहा नुकसान: राजस्थान में भाजपा विपक्षी दल की भूमिका में है. ऐसे में जरूरी है कि प्रदेश में भाजपा से जुड़े सभी प्रमुख नेता एकजुटता के साथ सरकार को घेरने की रणनीति बनाएं और सभी निर्णय सामूहिकता के साथ लिए जाएं. राजस्थान भाजपा कोर कमेटी की बैठक में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राजस्थान से आने वाले सभी केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ प्रमुख नेताओं को शामिल किया गया था. लेकिन लंबे अरसे से सभी नेता ना तो एक साथ एक जाजम पर बैठे और ना ही प्रदेश भाजपा किसी निर्णय को लेकर इन नेताओं के बीच सामूहिक चर्चा कर पाए. हालांकि कोर कमेटी में शामिल कुछ नेता ही इन दिनों निर्णय ले रहे हैं, जिसके आधार पर पार्टी चल रही है. कोर कमेटी से जुड़े कुछ नेता दबी जुबान से इस बात को स्वीकार करते तो हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से इस पर नाराजगी जताने से बचते भी हैं.