राजस्थान

rajasthan

सेंड डस्ट पर आईएसआई मार्क की शुरुआत करने वाला राजस्थान पहला राज्य बना

By

Published : Dec 11, 2020, 8:12 PM IST

राजस्थान में भारतीय मानक ब्यूरो की शाखा ने सेंड डस्ट के लिए श्री कृष्णा ग्रीट के एमडी संजीव गुप्ता को आईएसआई मार्क का लाइसेंस दिया है. सेंड डस्ट पर भी आईएसआई मार्क की शुरुआत करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है.

isi mark on sand dust,  sand dust
सेंड डस्ट पर आईएसआई मार्क की शुरुआत करने वाला राजस्थान पहला राज्य बना

जयपुर. प्रकृति की देन बजरी (गट्टी और रैता) पर अब आईएसआई मार्क का इस्तेमाल किया जाएगा. अवैध खनन और राजनीतिक व प्रशासनिक लूट का पर्याय बन चुकी गट्टी और रैता पर भारतीय मानक ब्यूरो ने आईएसआई मार्क देकर अवैध लूट को रोकने का प्रयास शुरू किया है. पत्थर से बनने वाली गट्टी व रैता के लिए यह मार्क दिया गया. जिससे की प्राकृतिक जल स्रोतों से अवैध रूप से निकलने वाली बजरी पर लगाम लगाई जा सके और नदियों व जलीय जीवों का संरक्षण किया जा सके.

भारतीय मानक ब्यूरो की शाखा ने सेंड डस्ट पर दिया आईएसआई मार्क का लाइसेंस

वर्तमान में आईएसआई मार्क शुद्धता की पहचान बन चुका है. सोने, चांदी, पानी, पाइप्स से लेकर हर छोटी-बड़ी चीजों पर अब आईएसआई का मार्क देखने को मिल जाता है, जो उसकी शुद्धता की प्रमाणिकता को दर्शाता है. लेकिन अब सेंड डस्ट पर भी आईएसआई मार्क की शुरुआत की गई है. ऐसा करने वाला राजस्थान पहला राज्य बन गया है. राजस्थान ने सेंड डस्ट के लिए आईएसआई मार्क का लाइसेंस दिया है.

पढ़ें:जयपुर : किसान आंदोलन को लेकर कोटपूतली में हनुमान बेनीवाल के बैठक में शामिल होने के इनपुट...जयपुर रेंज पुलिस अलर्ट

जयपुर शाखा कार्यालय प्रमुख विशाल तौमर ने श्री कृष्णा ग्रीट एमडी संजीव गुप्ता को आईएसआई मार्क का लाइसेंस दिया. इस दौरान विशाल तौमर ने बताया कि, राजस्थान में पहला ऐसा प्लांट है जिसने आईएसआई मार्क के लिए आवेदन किया और शुद्धता की प्रमाणिकता पर खरा भी उतरा. जिसके बाद लाइसेंस ग्रांट किया गया. बिना किसी प्राकृतिक स्रोतों के छेड़छाड़ किए प्लांट में ये गट्टी और रैता तैयार किया जा रहा है. जो बिल्डिंग, पुल सहित अन्य निर्माण में उपयोग में लिया जा सकता है. एक प्रकार से इसको बजरी के विकल्प के रूप में उपयोग में लिया जाएगा.

वहीं श्री कृष्णा ग्रीट एमडी संजीव गुप्ता ने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद बताया कि, बजरी पर रोक के चलते लगातार इसका अवैध दोहन बढ़ता जा रहा है. ऐसे में प्लांट पर पत्थरों से इसको तैयार किया जा रहा है. वहीं लोगों पर इसकी विश्वसनीयता बने इसको लेकर आईएसआई मार्क लेने की पहल की गई. बजरी के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होने वाली गट्टी और रैता से जहां निर्माण कार्यों में कोई रुकावट नहीं आ पाएगी तो वहीं 10 से 25 सालों तक की गारंटी भी इसके साथ दी जा रही है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details