जयपुर. राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्य सतीश पूनिया ने कहा कि प्रदेश कि गहलोत सरकार को 35 माह हो गया, लेकिन अपने जन घोषणापत्र में युवाओं को रोजगार देने और रोजगार नहीं दे पाने पर बेरोजगारी भत्ता देने का वादा अब तक अधूरा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ट्वीट करके देश की बेरोजगारी की बात तो करते हैं, लेकिन वे भूल गए कि राजस्थान देश का सर्वाधिक बेरोजगारी वाला राज्य है, जहां 27.6 प्रतिशत बेरोजगारी है.
सतीश पूनिया ने कहा कि प्रदेश के नौजवानों ने सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ ट्विटर पर अभियान भी चलाया, जिसमें 6 लाख बेरोजगारों ने सरकार को चेताया. पूनिया के अनुसार यह तो केवल बेरोजगारों ने सरकार को आईना दिखाया है. 2023 में यही युवा प्रदेश सरकार को उखाड़ फेकेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि 2 साल के बजट में प्रदेश सरकार ने 1 लाख 78,000 भर्ती की बात कही, लेकिन प्रक्रिया में 40,000 की ही शुरू हो पाई.
शून्यकाल में गूंजा बेरोजगारी का मुद्दा... वहीं, प्रदेश में 15 लाख से अधिक बेरोजगारो ने भत्तों के लिए आवेदन किया, लेकिन भत्ता दो लाख 51 हजार को ही दिया जा रहा है. इस दौरान पूनिया सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अब राजस्थान में नकल माफिया भी तेजी से पनप गए हैं, जिस पर सरकार को श्वेत पत्र जारी करना ही चाहिए. यह बताना चाहिए कि अब तक कितने लोगों को रोजगार दिया और कितने बेरोजगारों को भत्ता मिला.
RPSC बन गया कांग्रेस लोक सेवा आयोग : देवनानी
शून्यकाल में पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने भी बेरोजगारी से जुड़ा मुद्दा स्थगन के जरिए उठाया. देवनानी ने राजस्थान लोक सेवा आयोग की निष्पक्षता और चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाया और यह तक कह दिया कि अब जिस प्रकार के मामले सामने आए हैं, उसके बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि राजस्थान लोक सेवा आयोग अब कांग्रेस लोक सेवा आयोग बन चुका है. देवनानी ने इस दौरान आरपीएससी में चयन प्रक्रिया से साक्षात्कार बंद करने की मांग की और यह भी कहा कि आयोग में राजनीतिक नियुक्ति भी नहीं होनी चाहिए. देवनानी ने इस दौरान शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के रिश्तेदारों को साक्षात्कार के जरिए आरपीएससी द्वारा लाभ पहुंचाए जाने का मामला भी उठाया. देवनानी ने सदन में संविदा कर्मियों को नियमित करने और सभी बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिलाए जाने की मांग की.
संविदा कर्मियों को कब करेंगे नियमित, कमेटी कर रही केवल बैठक : रामलाल शर्मा
शून्यकाल में भाजपा विधायक रामलाल शर्मा ने भी इस फिल्म के जरिए संविदा कर्मियों को नियमित करने की मांग की, साथ ही राजस्थान में सरकारी नौकरियों में इस प्रकार की प्रक्रिया और नियम बनाने की मांग की. जिससे प्रदेश में केवल यहां के ही युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता मिल सके. शर्मा ने कहा कि कोरोना कालखंड में नर्सिंग कर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर काम किया, लेकिन उन्हें 3 साल बाद भी संविदा पर लगे नर्सिंग कर्मियों को नियमित नहीं किया गया. इस संबंध में बनी कैबिनेट सब कमेटी केवल मीटिंग ही कर रही है, जबकि संविदा कर्मी नियमित होने का इंतजार कर रहे हैं.
2 करोड़ 67 लाख बेरोजगारों से झूठा वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस : अशोक लाहोटी
शून्यकाल में भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने भी बेरोजगारी भत्ते का मामला उठाया. लाहोटी ने कहा कि कांग्रेस राजस्थान के 2 करोड़ 67 लाख युवा जो 18 से 35 वर्ष के हैं, उन्हें रोजगार देने और रोजगार न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता देने का झूठा वादा करके सत्ता में आई, लेकिन अब अपने वादे से सरकार मुकर रही है. लाहोटी ने कहा कि प्रदेश में पिछले 2 सालों के भीतर 42 लाख युवाओं ने विभिन्न में भर्ती परीक्षाओं में फॉर्म भरे, जिनमें से करीब दो लाख की ही भर्ती हो पाई.
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ऐसे में 40 लाख युवा ऐसे हैं जिन्हें ये बेरोजगारी भत्ता मिलना चाहिए. लाहोटी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने आरपीएससी को 'नाथी का बाड़ा' बना दिया है. वहीं, भाजपा विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने भी सदन में पहली बार शून्यकाल में बेरोजगारी के मामले में बोलते हुए कहा कि देश में बेरोजगारी की राष्ट्रीय औसत 7 प्रतिशत है. राजस्थान में बेरोजगारी की दर 28 प्रतिशत है. माहेश्वरी ने कहा कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही, लेकिन अब सरकार कहती है कि हम केवल ग्रेजुएट बेरोजगारों को ही बता देंगे. क्या 12वीं तक पढ़े लिखे युवा बेरोजगार नहीं हैं. माहेश्वरी ने कहा कि आज भी प्रदेश में 2 लाख पद सरकारी विभागों में खाली हैं. वहीं राजसमंद में पटवारी के 120 में से 100 पद खाली हैं.
22 राज्यों में राजस्थान के युवाओं को नहीं मिलती नौकरी, यहां भी बने कानून : बलजीत यादव
सदन में स्थगन के जरिए बहरोड़ से आने वाले निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने भी बेरोजगारी से जुड़ा मामला उठाया और कहा कि देश के 22 राज्य ऐसे हैं जहां राजस्थान के युवाओं का सरकारी नौकरियों में सिलेक्शन की रेट शून्य है, क्योंकि वहां इस प्रकार के कानून बनाए गए हैं. जिससे बाहर के राज्यों के युवाओं को नौकरी आसानी से नहीं मिलती. अब हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम राजस्थान में भी इस प्रकार के नियम बनाएं, जिससे यहां के ही युवाओं को रोजगार मिले. साथ ही जो लोग नकल गिरोहों में शामिल हैं, उनके खिलाफ भी सरकार सख्त कानून बनाए, ताकि उन्हें जमानत भी न मिल पाए.