जयपुर. सदन में शून्यकाल के दौरान प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने स्थगन के जरिए राजस्थान में जवाबदेही कानून का मुद्दा उठाया. राठौड़ ने कहा कि (Rajendra Rathore on Gehlot Government) राजस्थान में 100 से अधिक स्वयंसेवी संगठनों ने 20 जनवरी 2021 से लेकर 6 जनवरी 2022 तक 24 किलोमीटर की यात्रा निकाली थी. साथ ही हाल ही में बुद्धिजीवियों ने जयपुर के स्टेच्यू सर्किल पर भी इस मांग को लेकर धरना दिया.
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में यह कानून लागू करने का वादा किया था और सरकार के पहले बजट में भी इसकी घोषणा की गई थी. राठौड़ ने कहा कि साल 2022-23 के बजट में भी इसकी घोषणा की गई, लेकिन तीन बार घोषणा करने के बाद भी सरकार ने इसे लागू नहीं किया. राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार ने ही राजस्थान ग्रांटेड सर्विस एंड अकाउंटेबिलिटी एक्ट (Rajasthan Granted Service and Accountability Act) लागू करने का वादा किया था. इसके लिए साल 2019 में रामलुभाया कमेटी भी बनाई, जिसने फरवरी 2020 में अपनी रिपोर्ट दे दी. लेकिन अब तक इस पर कोई काम नहीं हुआ. राठौड़ ने कहा कि मैं भी प्रस्तावित करता हूं, सरकार जल्द से जल्द इसे लागू करे.
थर्ड ग्रेड टीचर ट्रांसफर नीति बनाए सरकार : वहीं, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायक नारायण बेनीवाल ने सदन में इस तरह प्रस्ताव के जरिए थर्ड ग्रेड टीचर ट्रांसफर नीति बनाए जाने की मांग उठाई. बेनीवाल ने कहा कि हाल ही में सरकार ने शिक्षा विभाग में हजारों की संख्या में तबादले किए, लेकिन थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादले पर अब तक प्रतिबंध लगा हुआ है. उनके अनुसार किसी भी कर्मचारी को मानसिक शांति और नौकरी की स्थाई सुरक्षा की गारंटी मिले तो वह कार्य में काफी अच्छे ढंग से काम करता है. लेकिन शिक्षा विभाग में थर्ड ग्रेड टीचर कई सालों से अपने गृह जिले से दूर हैं. कई बार सरकार ने ट्रांसफर नीति बनाए जाने के नाम पर सुझाव भी लिए, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ जिससे हजारों थर्ड ग्रेड टीचर और उनके परिजन परेशान है. आरएलपी विधायक ने सरकार से थर्ड ग्रेड टीचरों के ट्रांसफर के लिए स्थाई नीति बनाए जाने की मांग की.