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Rajasthan Assembly: सदन में दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक पारित, भाजपा विरोध में...लेकिन समर्थन में दिखे कैलाश मेघवाल

राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को दंड प्रक्रिया संहिता राजस्थान संशोधन विधेयक 2022 बहस के बाद पारित (Criminal Procedure Code Amendment Bill passed) हो गई. सदन में भाजपा इस बिल के विरोध में दिखी तो पार्टी के ही वरिष्ठ नेता कैलाश मेघवाल इसके समर्थन में नजर आए.

Criminal Procedure Code Amendment Bill passed
दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक पारित

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Published : Mar 4, 2022, 6:49 PM IST

Updated : Mar 4, 2022, 7:21 PM IST

जयपुर. विधानसभा में शुक्रवार को दंड प्रक्रिया संहिता राजस्थान संशोधन विधेयक 2022 लंबी बहस के बाद पारित (Criminal Procedure Code Amendment Bill passed) कर दिया गया. हालांकि सदन में संशोधन बिल के विरोध में भाजपा के तमाम विधायक (BJP is opposing bill) दिखे और इसे जनमत जानने के लिए भेजने की मांग भी की गई. लेकिन बीजेपी के ही विधायक कैलाश मेघवाल इस बिल के समर्थन में नजर आए. इसके बाद सदन में भाजपा विधायकों की एकजुटता पर भी सवाल उठने लगा है.

दरअसल सरकार सदन में यह संशोधन विधेयक इसलिए लेकर आई ताकि फॉरेंसिक लैब की सूची में संशोधन के मापदंड के अनुरूप वैज्ञानिक या विशेषज्ञों को जोड़ा जा सके. इससे एफएसएल और प्रयोगशालाओं में लंबित पड़े प्रकरणों का जल्द और समयबद्ध तरीके से निस्तारण हो सकेगा. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ के साथ ही भाजपा के सभी विधायकों ने इस संशोधन बिल में खामियां गिनाते हुए सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए. इसे जनमत जानने के लिए भेजने की मांग भी की.

दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक पारित

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लेकिन भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे कैलाश मेघवाल इस संशोधन बिल के पक्ष में खड़े नजर आए. उन्होंने संशोधन विधायक का स्वागत करते हुए इसे इनोसेंट संशोधन बताया. मेघवाल ने कहा कि बेनिफिट ऑफ डाउट के कारण कई अपराधी बच जाते हैं. ऐसे में प्रयोगशालाओं की कमी और उसमें भी वैज्ञानिक विशेषज्ञों के अभाव के चलते ही सरकार के अधिकार इस संशोधन बिल के जरिए ले रही है.

मेघवाल ने साफ तौर पर कहा यदि कोई वैज्ञानिक विशेषज्ञ सरकार अप्वॉइंट करती भी है तो वह यदि नियम कानून या संबंधित योग्यता के दायरे में नहीं आएगा तो कोर्ट के पास अधिकार है कि वह उस अपॉइंटमेंट को खारिज करे. लेकिन आज जरूरत है कि प्रयोगशालाओं में जो कमी है उसको दुरुस्त करने के लिए वैज्ञानिक विशेषज्ञ लगाया जाए. जिससे जल्द से जल्द न्याय मिल सके. मेघवाल ने यह भी कहा कि कोई भी कानून अपने आप में परिपूर्ण नहीं होता समय के साथ उसमें संशोधन करना ही पड़ता है.

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मैं भी भुग्तभोगी,पुराने मामले में जारी हो गया वारंट
कैलाश मेघवाल ने जुडिशल ऑफिसर को अच्छी तरह प्रशिक्षण देने की पैरवी की. मेघवाल ने (पूर्व में जब वे गृहमंत्री रहे तब का) एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि वह भी भुग्तभोगी रह चुके हैं. मेघवाल ने कहा कि अभी कुछ माह पहले ही एक पुराने मामले में 'मुझे वारंट मिला है. जबकि मैं जब गृहमंत्री था उस दौरान कोई अपनी पीड़ा लेकर आया और मैंने कहा कि हम इस को दिखाते हैं'. लेकिन बाद में वह मामला कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट में बयान हो गए कि गृहमंत्री ने भी सुनवाई नहीं की और इतने सालों बाद अब इस मामले में नोटिस जारी हो गया. मेघवाल ने कहा कि चुनाव आयोग के नियमों के तहत हर जनप्रतिनिधि को अपने अपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी सार्वजनिक करना पड़ती है. उस के चक्कर में मेरे 50 लाख रुपए भी खर्च हो गए.

चाहे जिसको बचाओ, चाहे जिसको फंसाओ...यही है खेल
इस संशोधन बिल पर बहस में शामिल होते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि संशोधन के जरिए किस व्यक्ति को नोटिफाइड करेंगे और किसे लाभ देंगे इस पर सवाल उठना लाजमी है. कटारिया ने कहा कि सरकार चाहे जिसको बचाए और चाहे जिसको फंसाए. यही काम इस संशोधन के जरिए करना चाहती है.

कटारिया ने कहा कि इस विभाग में पिछले 2 साल से निदेशक नहीं है. उस विभाग का बंटाधार होना तय है. इस दौरान कटारिया ने पिछले कुछ सालों से कर्मचारियों की कमी के चलते प्रयोगशाला और एफएसएल में लंबित पड़े प्रकरणों की संख्या गिनाई. साथ ही कहा कि साल 2021 तक यह पेंडेंसी 19,546 हो गई है. कटारिया ने इस दौरान रीट परीक्षा अनियमितता को लेकर जिक्र किया तो सदन में मौजूद मंत्री महेश जोशी ने उन पर व्यंग्यात्मक कटाक्ष भी कर दिया. इसके बाद कटारिया ने कहा कि फॉरेंसिक लैब में वैज्ञानिक विशेषज्ञों को नोटिफाइड करने के जरिए यह खेल राज को बचाने का खेल है. कटारिया ने इस दौरान कहा कि 'आज तुम हो कल हम नहीं रहेंगे' लेकिन जनता कभी माफ नहीं करेगी.

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केंद्र के अधिकार पर अतिक्रमण है यह संशोधन
संशोधन बिल पर बोलते हुए उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह समवर्ती सूची का विषय है. संविधान के आर्टिकल में इस बात का उल्लेख है कि जहां केंद्र सरकार की कोई विधि प्रचलित हो तो विधानसभा में इसलिए संशोधन के दौरान वही लागू होती है. राठौड़ ने कहा यह संशोधन लाने के पीछे प्रदेश सरकार का कोई हिडन एजेंडा है. इस दौरान राठौड़ ने सचिन पायलट और उनके समर्थकों का उदाहरण देते हुए कहा कि यह सदन साक्षी रहा है कि अपनों ने अपनों को ललकारा है. आप की सरकार में तत्कालिक उप मुख्यमंत्री सहित 19 विधायकों को फोन टैपिंग के आधार पर विभिन्न धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए. जिसमें षड्यंत्र और राजद्रोह तक का मुकदमा था.

लेकिन जब बाद में सुलह हो गई तो दूसरे ही दिन एफएसएल ने इस फोन रिकॉर्डिंग की प्रमाणिकता पर सवाल उठाकर पूरा मामला रफा-दफा कर दिया. ठीक इसी तरह इस संशोधन के जरिए राज्य सरकार प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक विशेषज्ञों को अपने हिसाब से रखना चाहती है. जबकि यह विषय केंद्र का है. लेकिन राज्य शब्द इस संशोधन के जरिए जोड़ा जा रहा है. जिससे अपने हिसाब से इन प्रयोगशालाओं में भी सरकार काम करवा सके. इस संशोधन बिल पर भाजपा के अशोक लाहोटी और मदन दिलावर ने भी अपनी बात रखी. हालांकि दिलावर ने कुछ विवादित बोल बोले जिसे सदन की कार्रवाई से हटवा दिया गया. निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने शुरुआत में इस संशोधन बिल पर सवाल उठाए और जनमत जानने के लिए इसे भेजने की बात कही. लेकिन बाद में जनमत जानने की मांग वापस ले ली.

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सरकार की मंशा सही
संशोधन विधेयक पर सवाल उठाने वाले भाजपा विधायकों को संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार की मंशा सही है. जब तक नए व्यक्तियों को नोटिफाइड करने का अधिकार इस संशोधन विधेयक के जरिए हमें नहीं मिलेगा, तब तक हम प्रयोगशालाओं और एफएसएल की पेंडेंसी को दूर नहीं कर सकेंगे. धारीवाल ने कहा कि प्रयोगशालाओं में काफी पद रिक्त हैं. लेकिन भाजपा सरकार ने तो नई भर्ती के लिए इस विभाग में नियम तक नहीं बनाए.

जबकि साल 2020 में हमारी सरकार ने नई भर्ती के लिए इसमें नियम बनाए. धारीवाल ने कहा कि जल्द इस विभाग में कुछ पदों पर भर्तियां की जाएंगी. उन्होंने विभाग में डायरेक्टर के पद रिक्त होने से जुड़े भाजपा के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि हमें उस योग्यता का व्यक्ति नहीं मिल रहा इसलिए पद खाली है. लेकिन निदेशक पद की जिम्मेदारी एडिशनल डायरेक्टर को अतिरिक्त चार्ज के रूप में दे रखी है. जब एडिशनल डायरेक्टर का वांछित अनुभव पूरा हो जाएगा तो डीपीसी के जरिए वो डायरेक्टर बन जाएंगे. धारीवाल ने कहा ऐसा कई विभागों में होता है. धारीवाल ने कहा कि इस संशोधन के बाद हम सरकारी विभाग के क्वालिफाइड लोगों को ही नोटिफाइड करेंगे, क्योंकि हमारा मकसद प्रयोगशालाओं में जो पेंडेंसी है उसे दूर करना है.

Last Updated : Mar 4, 2022, 7:21 PM IST

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