जयपुर/धौलपुर. प्रदेश भर में बढ़ते तापमान से मौसम का मिजाज फिर से बदला हुआ है. मानसून की विदाई का सिलसिला जारी है. वहीं कई जगह पर बारिश का दौर भी जारी है. मौसम विभाग के अनुसार स्थानीय मौसमी परिस्थितियों से हल्की बारिश होने की संभावना है. गुरुवार को 15 से अधिक जिलों में मेघ मेहरबान होंगे. धौलपुर में बारिश की वजह से खेतों में पड़ी बाजरे की फसल को नुकसान पहुंंचा है.
मौसम विभाग के मुताबिक गुरुवार को जयपुर, सीकर, अलवर, भरतपुर, दौसा, बारां, झालावाड, नागौर, अजमेर, कोटा, टोंक, बूंदी, झुंझुनू, सवाई माधोपुर और आसपास क्षेत्रों में मेघ गर्जन के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है. इस अवधि के दौरान टोंक, अजमेर, बूंदी और आसपास के क्षेत्र में कहीं कही पर मेघ गर्जन के साथ, तो कहीं गर्जन के साथ हल्की से मध्यम वर्षा, आकाशीय बिजली के साथ 30-40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की संभावना है.
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अधिकतम तापमान:प्रदेश में अधिकतम तापमान की बात की जाए, तो अजमेर में 34 डिग्री सेल्सियस, भीलवाड़ा में 34 डिग्री सेल्सियस, वनस्थली में 35.2 डिग्री सेल्सियस, अलवर में 31.2 डिग्री सेल्सियस, जयपुर में 34.8 डिग्री सेल्सियस, पिलानी में 35.2 डिग्री सेल्सियस, सीकर में 35 डिग्री सेल्सियस, कोटा में 35 डिग्री सेल्सियस, बूंदी में 36.6 डिग्री सेल्सियस, चित्तौड़गढ़ में 32.8 डिग्री सेल्सियस, डबोक में 34 डिग्री सेल्सियस, बाड़मेर में 36 डिग्री सेल्सियस, पाली में 34.2 डिग्री सेल्सियस, जैसलमेर में 38.5 डिग्री सेल्सियस, जोधपुर में 35.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.
वहीं फलौदी में 38.4 डिग्री सेल्सियस, बीकानेर में 38.3 डिग्री सेल्सियस, चूरू में 37.5 डिग्री सेल्सियस, श्रीगंगानगर में 36.3 डिग्री सेल्सियस, धौलपुर में 27.7 डिग्री सेल्सियस, नागौर में 37.5 डिग्री सेल्सियस, टोंक में 36 डिग्री सेल्सियस, बारां में 34 डिग्री सेल्सियस, डूंगरपुर में 33.9 डिग्री सेल्सियस, हनुमानगढ़ में 35.9 डिग्री सेल्सियस, जालौर में 35.4 डिग्री सेल्सियस, सिरोही में 34.3 डिग्री सेल्सियस, सवाई माधोपुर में 32.4 डिग्री सेल्सियस, करौली में 32.1 डिग्री सेल्सियस, बांसवाड़ा में 32.4 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान दर्ज किया गया है.
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मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र उत्तर पूर्वी मध्य प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों के ऊपर बना हुआ है. इसके आगामी 2 दिनों के दौरान पश्चिमी-उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ने की संभावना है. इस तंत्र के प्रभाव से आगामी चार-पांच दिन पूर्व राजस्थान के कुछ भागों में मानसून वापस सक्रिय होने की संभावना है. जयपुर, भरतपुर, कोटा, उदयपुर, अजमेर संभाग के अधिकतर भागों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है.
आगामी 3 दिन के दौरान भरतपुर और कोटा संभाग के जिलों में कहीं-कहीं पर भारी बारिश होने की संभावना है. 22 सितंबर को एक दो स्थानों पर अति भारी बारिश होने की भी संभावना है. आगामी 48 घंटों के दौरान मेघ गर्जन, बिजली चमकने और अचानक तेज हवाएं 30 से 40 प्रति किलोमीटर की रफ्तार से चलने की संभावना है. पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर संभाग के पूर्वी भागों में छुटपुट स्थानों पर मेघ गर्जन के साथ आगामी तीन-चार दिनों के दौरान हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होने की संभावना है.
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धौलपुर में खरीफ फसल को भारी नुकसान: विगत 5 दिनों से धौलपुर जिले में हो रही बारिश से खरीफ फसल को भारी नुकसान हुआ (millet crop destroyed in Dholpur) है. मौसम विभाग की चेतावनी के बाद से जिले भर में रुक-रुक कर हो रही बारिश ने किसानों को झकझोर दिया है. बुधवार रात्रि को रुक-रुक कर हुई बारिश से खरीफ फसल पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी है. खेतों में कटी पड़ी बाजरे की फसल में भारी नुकसान देखा जा रहा है. बाजरे की बाली का दाना काला पड़ने के साथ सड़ने के कगार पर पहुंच चुका है. इसके साथ ही दलहन, तिलहन, ग्वार और ज्वार की फसलें भी बारिश से प्रभावित हुई है.
जिले में अधिकांश काश्तकारों ने बाजरे की फसल की कटाई को अंजाम दिया था. कटी फसल को किसानों ने खेतों में ही सूखने के लिए छोड़ दिया था. लेकिन रुक-रुक कर हुई बारिश से बाजरे की फसल को भारी नुकसान हुआ है. खेतों में कटी पड़ी बाजरे की बाली का दाना काला पड़ने के साथ सड़ने के कगार पर पहुंच चुका है. इसके साथ ही बाजरे की फसल का उपयोग आने वाला चारा भी बर्बाद हो चुका है. बाजरे की पकी फसल पर गिरी आसमानी आफत ने किसानों को चिंता में खड़ा कर दिया है. किसान देवीराम परमार ने बताया कि बुवाई से लेकर अब तक का खरीफ फसल का काफी अच्छा समय रहा था. मौजूदा वक्त में बाजरा, दलहन, तिलहन और ग्वार ज्वार की कटाई का सीजन चल रहा है. लेकिन विदाई की बेला में बरसे मानसून ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है.
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रवि फसल की बुवाई भी होगी प्रभावित:कृषि विभाग के पर्यवेक्षक धर्मेंद्र सिंह ने बताया सरसों की बुवाई का सीजन 20 सितंबर से शुरू हो जाता है. लेकिन उससे पूर्व खेतों की जुताई गुड़ाई कर खरपतवार को हटाकर सरसों की बुवाई के लिए खेतों को अनुकूल बनाया जाता है. लेकिन देरी से हुई बारिश ने सरसों की बुवाई को प्रभावित किया है. उन्होंने बताया निश्चित तौर पर पीक समय पर सरसों फसल की बुवाई नहीं हो सकेगी.