जयपुर.गुर्जर समाज के एक बार फिर आरक्षण की मांग को लेकर रेल की पटरी पर बैठ जाने और प्रदेश की कानून व्यवस्था एक बार फिर बिगड़ने की आशंका को देखते हुए राजस्थान विधानसभा में सरकार की ओर से गुर्जर आरक्षण को लेकर उठाए जा रहे प्रयासों के बारे में मंत्री रघु शर्मा ने सदन में जवाब पेश किया. रघु शर्मा ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और हमने गुर्जर आंदोलन में कभी गोली, लाठी नहीं चलाई. हमेशा शांतिपूर्वक तरीके से उनकी समस्याओं को सुनकर आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास किया.
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राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने 13 फरवरी 2019 को कानून बनाकर 5% आरक्षण देने का काम किया. 13 फरवरी 2019 को कानून बनाकर अति पिछड़ा वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में ओर शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए 5% आरक्षण का प्रावधान किया गया. अति पिछड़ा वर्ग के लिए 5% प्रावधान लागू होते ही राज्य सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय भी लिया गया कि 13 फरवरी 2019 को जिस दिन अति पिछड़ा वर्ग के लिए 5% आरक्षण का कानून लागू हुआ. उसमें जितनी भी भर्तियां प्रक्रियाधीन थी उन पूरी भर्तियों में भी 5% आरक्षण का लाभ दिया जाएगा.
रघु शर्मा ने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा 22 महीने में 24091 पदों पर नियुक्ति दी जा चुकी है. इसके अलावा प्रक्रियाधीन जो भर्तियां है जिन पर नियुक्तियां दिया जाना बाकी है इन प्रक्रियाधीन भर्तियों में भी अति पिछड़ा वर्ग के लिए 5% आरक्षण के आधार पर हमारी सरकार ने 1356 पद आरक्षित किए हैं, जो इन भर्तियों के पूरा होने के बाद इनको मिलेंगे.
उन्होंने कहा कि साल 2008 से 2013 के बीच में कांग्रेस पार्टी की सरकार के दौरान 1% आरक्षण के आधार पर 2013 तक विशेष पिछड़ा वर्ग को 1771 नौकरियां दी गई .इस प्रकार हमारे शासनकाल में अब तक 4262 नौकरियां दी जा चुकी है तथा 5% आरक्षण के आधार पर 1356 पदों को इसमें जोड़ दिया जाए जो प्रक्रियाधीन है तो यह संख्या 5618 हो जाएगी. पिछले भाजपा कार्यकाल में भी विशेष पिछड़ा वर्ग को 2588 नौकरियां दी गई थी. इस मामले में गुर्जर समुदाय के साथ चल रही वार्ता को लेकर मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि जो 14 सूत्रीय गुर्जरों की मांग थी उस पर 80 गांव के अहम और निर्वाचित लोगों के साथ बातचीत के बाद सहमति बनी.
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समस्या का हल बातचीत से निकलेगा पटरी पर नहीं
रघु शर्मा ने कहा कि गुर्जर समाज के लोगों की प्रमुख मांग जो शुरुआत में थी वह 5% आरक्षण की थी, जो हमने साल 2019 में दे दिया और यह आरक्षण इनको मिलने भी लग गया है. इसके बावजूद भी अगर इनको लगता है कि कोई समस्या बाकी रह गई है तो उसका हल रेल की पटरी या सड़क पर तो निकल नहीं सकता है, वह तो बातचीत से ही निकलेगा. सरकार आज भी उन सब लोगों को कहना चाहती है कि सरकार के दरवाजे बातचीत के लिए खुले हैं बातचीत से समस्या का समाधान निकलता है. 80 गांव के पंचों से बात करके 14 बिंदुओं पर सहमति बनाई है. अगर फिर भी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला या उनके पुत्र विजय सिंह बैंसला को लगता है कि कोई बात अधूरी रह गई है तो सरकार के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले है, बात करने से कोई मना नहीं कर रहा.