जयपुर.श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद बिना श्रदालुओं के राधा रानी का प्राकट्योत्सव सादगीपूर्वक मनाया जा रहा है. मुख्य आयोजन जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर में हो रहे हैं. जहां पहले श्रदालुओं ने ऑनलाइन राधारानी के अभिषेक के दर्शन किए. वहीं, अब लोग विभिन्न झांकियों के भी दर्शन लाभ ले रहे हैं. राधाष्टमी को लेकर गोविंददेवजी मंदिर परिसर को बांदरवाल और आकर्षक रोशनी से सजाया गया है.
में राधाष्टमी पर्व पर सादगीपूर्वक हो रहे आयोजन राधाष्टमी पर आज मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सानिध्य में अलसुबह 4.45 बजे से 5 बजे तक तिथि पूजा हुई. इसके बाद प्रियाजी का 21 लीटर दूध, 11 किलो दही, 1 किलो घी, 5 किलो बूरा और 500 ग्राम शहद से तैयार पंचामृत से अभिषेक किया गया. इस दौरान गोविंद मिश्र वेद पाठ किया. ठाकुरजी और किशोरी जी को पीली पोशाक धारण कराकर विशेष अलंकरण धारण कराए गए. साथ ही फूलों के श्रृंगार के साथ छप्पन भोग की झांकी भी सजाई गई है.
इसके अलावा राधा रानी को पंजीरी के लड्डू, मावे की बर्फी और पंजीरी का विशेष भोग लगाया गया. मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि सुबह धूप झांकी खुलने पर ठाकुर जी का अधिवास पूजन हुआ और छप्पन भोग के दर्शन भक्त कोरोना महामारी के चलते ऑनलाइन कर रहे है. श्रृंगार झांकी के बाद राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. गोविंद देव जी मंदिर के अलावा राधा माधव, नटवर जी, कुंज बिहारी जी, गोपाल जी नागा, गोपाल जी तालाब, मुरली मनोहर जी, गोपाल जी रोपाड़ा में भी राधाष्टमी सादगी पूर्वक मनाई जा रही है.
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मान्यता है कि राधाजी को वृंदावन की अधीश्वरी हैं. यह भी कहा जाता है कि जिसने राधा जी को प्रसन्न कर लिया, उसे भगवान कृष्ण भी मिल जाते हैं, इसलिए इस दिन राधा-कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है. शास्त्रों में राधा जी को लक्ष्मी जी का अवतार माना गया है. इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को रखने से व्यक्ति अपने समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है.