जयपुर.प्रोबेशन काल में कार्यरत 24 व्याख्याताओं के तबादला आदेश सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बवाल मचा हुआ है. अब प्रोबेशन काल में व्याख्याताओं के तबादला आदेश जारी होने के बाद शिक्षा विभाग (education Department) की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं. शिक्षक संगठनों ने 24 व्याख्याताओं के तबादला आदेशों पर एतराज जताया है.
व्याख्याता भर्ती 2018 में चयनित विभिन्न विषयों के व्याख्याताओं को अभी हाल ही में पोस्टिंग दी गई है. इनमें से दो दर्जन व्याख्याताओं के तबादला आदेश परिवेदना निस्तारण के नाम पर जारी किए गए हैं. हालांकि, परिवेदना निस्तारण के नाम पर तबादले करने की नीति शिक्षा विभाग में नई नहीं है. इस तरह के तबादला आदेश पहले भी जारी होते रहे हैं.
पढ़ें:नए शिक्षण सत्र से पहले ऑनलाइन फीस के निर्धारण और डीएफआरसी के गठन की मांग तेज
दूसरी तरफ, इन आदेशों से वरिष्ठ शिक्षक नाराज हैं. शिक्षक ग्रेड-2 के तबादले पिछले दो साल से नहीं हुए हैं. जबकि दो बार ऑनलाइन आवेदन लिए जा चुके हैं. हालात यह हैं कि करीब 16 हजार वरिष्ठ शिक्षकों ने तबादले के लिए प्रार्थना पत्र दे रखे हैं. लेकिन सिर्फ सीकर जिले के ही कुछ शिक्षकों के तबादले हुए थे.
इन आदेशों के जारी होने के बाद शिक्षक संगठनों ने सरकार और शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. शिक्षक नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार को तबादलों में एकरूपता रखनी चाहिए. यदि तबादला करना है तो सभी शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन लेकर उन्हें राहत दी जानी चाहिए. परिवेदना निस्तारण के नाम पर केवल कुछ शिक्षकों के राहत देना न्याय उचित नहीं है.
पढ़ें:उच्च शिक्षा में विचारधारा के आधार पर तबादलों के जरिए प्रताड़ित करना लज्जाजनक : कटारिया
शिक्षक संघ रेसला के प्रदेशाध्यक्ष मोहन सिहाग का कहना है कि सरकार को तबादलों में एकरूपता रखनी चाहिए. ऑनलाइन आवेदन लेकर सभी के स्थानांतरण किए जाने चाहिए. वहीं, शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश मंत्री श्रवण पुरोहित का कहना है कि वरिष्ठ अध्यापकों से ऑनलाइन आवेदन लेने के बाद भी उनके तबादले नहीं किए गए. सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द वरिष्ठ शिक्षकों के तबादले किए जाए.