जयपुर. विधानसभा में शुक्रवार को शून्यकाल में राजेंद्र राठौड़ ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए पाक विस्थापितों को कैंप लगाकर नागरिकता देने के की बात उठाई. इस पर जवाब देते हुए मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि पाक विस्थापितों को नागरिकता देना एक सतत प्रक्रिया है. जो आईबी और सीआईडी की रिपोर्ट के बाद ही दी जाती है. धारीवाल ने कहा कि बाड़मेर जिले में 32, जैसलमेर में 6, जालोर में 11 और जोधपुर में 1 हजार 112 लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई है.
विधानसभा में उठा पाक विस्थापितों की नागरिकता का सवाल, धारीवाल बोले- पेंडिंग आवेदनों का जल्द होगा निस्तारण
विधानसभा में शून्यकाल के दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए पाक विस्थापितों को नागरिकता देने को लेकर सवाल उठाया गया. इस दौरान मंत्री शांति धारीवाल ने इसे सतत प्रक्रिया बताया और कहा कि जोधपुर में सर्वाधिक पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता दी गई है. वहीं उन्होंने कहा कि पेंडिंग मामलों का भी जल्द निस्तारण होगा.
मंत्री धारीवाल ने बताया कि जोधपुर में सर्वाधिक पाक विस्थापितों को नागरिकता दी गई है. इस पर राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राजनाथ सिंह के दौरे से पूर्व दबाव के तहत दो सप्ताह में ही नागरिकता दी गई थी. वहीं उन्होंने नागरिकता देने में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. इस पर धारीवाल ने कहा कि हमारी सरकार किसी के दबाव में आकर काम करने वाली नहीं है और जिन आवेदनों की आप बात कर रहे हैं. वो 7 साल से पेंडिंग है. उस समय भाजपा की सरकार थी तो फिर जवाब हमसे क्यों मांगा जा रहा है. हालांकि उन्होंने सदन में विश्वास दिलाया कि शेष बचे आवेदनों का जल्दी ही निस्तारण होगा.
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव से पहले सदन में एक जोरदार वाकया भी हुआ. जब ध्यानकर्षण प्रस्ताव रखते समय इस पर जवाब देने के लिए मंत्री सदन में नहीं थे. इस दौरान राठौड़ ने कहा कि पहली बार है कि वो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव बिना मंत्री की उपस्थिति के रख रहे हैं. इतने में शांति धारीवाल सदन में आए तो स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि आपकी बात सुनते ही मंत्री सदन में आ गए. इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जब पहले से पता था कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव है तो फिर मंत्री को सदन में मौजूद रहना चाहिए था. इस पर स्पीकर ने माहौल को ठण्डा करते हुए कहा कि आपको मंत्री जी की उम्र का ध्यान रखना चाहिए. इस पर राठौड़ ने कहा कि हमारे मंत्रीजी की उम्र को लेकर आपको नहीं बोलना चाहिए. जिस पर सदन में हर कोई हंसने लगा.