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SPECIAL: भारी पड़ सकती है ये लापरवाही, क्वॉरेंटाइन सेंटरों में आग से बचने के लिए सुरक्षा उपकरणों का अभाव

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Published : Aug 30, 2020, 6:33 PM IST

6 अगस्त को अहमदाबाद में कोविड-19 मरीजों का उपचार केंद्र (एक प्राइवेट अस्पताल) में आग लगने से 8 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे से अन्य कोविड केयर सेंटर्स को सीख लेकर अपने सुरक्षा तंत्रों को मजबूत करना चाहिए. हालांकि ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है. राजधानी जयपुर में ही क्वॉरेंटाइन सेंटर के जिम्मेदार भी इसी तरह के किसी हादसे की अनिश्चितता से अनजान हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इस वक्त राजधानी के बगराना में जो क्वॉरेंटाइन सेंटर संचालित है, वहां आग लगने की स्थिति से बचने के लिए कोई संसाधन उपलब्ध नहीं है. जबकि आरयूएचएस में भी कोरोनों मरीजों का उपचार चल रहा है. लेकिन वहां भी फायर एनओसी है या नहीं ये निगम को भी नहीं पता!

क्वॉरेंटाइन सेंटरों में आग से बचने के समाधान,  fire extinguishers to avoid fire in jaipur
आग से बचने के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटरों में नहीं है कोई साधन

जयपुर.आज कोरोना महामारी पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है. इस वायरस ने ना जाने कितने लोगों को उनके अपनों से दूर कर दिया. एक तरफ तो यह महामारी लोगों पर आफत बनकर टूट रही है. भारत में अब तक कोरोना से 63,498 लोगों की मौत हो चुकी है. बीमारी की वजह से तो लोग दम तोड़ ही रहे हैं, वहीं कई जगहों पर प्रशासन और अधिकारियों की लापरवाही की वजह से भी मरीजों की जान जा रही है. ऐसा ही एक मामला हाल ही में अहमदाबाद से सामने आया था.

आग से बचने के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटरों में नहीं है कोई साधन

लापरवाही ने ली 8 लोगों की जान

हाल ही में एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई. सभी मरीज कोरोना संक्रमित थे. लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि ये जानें कोरोना की वजह से नहीं, बल्कि अस्पताल की लापरवाही की वजह से गई. अस्पताल में आग से निपटने के लिए किसी तरह के अग्निशमन यंत्र मौजूद नहीं थे. अस्पताल में आग लगने पर कोरोना मरीज हादसे का शिकार हो गए. इस घटना के बाद भी प्रशासन और अस्पतालों ने वार्डो की सुध नहीं ली.

आग बुझाने के लिए जरूरी ये उपकरण

भगवान भरोसे आमजन

राजस्थान की बात करें तो प्रदेश में कुल पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 79 हजार 380 पर पहुंच गया है. अब तक कुल 1037 मौतें हो चुकी हैं. वहीं बात करें राजधानी जयपुर कि, तो यहां हर दिन 200 कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं. जिन प्रवासी मजदूरों को दूसरे देशों से लाया जा रहा है, उन्हें क्वॉरेंटाइन करने के लिए शहर के बगराना में जेडीए प्रशासन ने एक क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है. जिसमें फिलहाल 2,000 लोगों को क्वॉरेंटाइन करने की व्यवस्था है, लेकिन यहां प्रशासन ने यहां रहे लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है.

rush में फायर एनओसी की जानकारी निगम को भी नहीं

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इस क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूरों के लिए तकरीबन 114 G+3 इमारतों में 1824 फ्लैट हैं. लेकिन आलम ये है कि इनमें से किसी एक इमारत में फायर एक्सटिंग्विशर तक नहीं है और ना ही आग लगने की स्थिति में इससे निपटने के लिए कोई दमकल की टीम तैनात की गई है. हालांकि क्वॉरेंटाइन सेंटर की व्यवस्था देख रहे, जेडीए प्रशासन ने अपनी कमी मानते हुए, फायर इक्विपमेंट की जल्द व्यवस्था करने की बात जरूर कही है.

क्वॉरेंटाइन सेंटर में नहीं है फायर एक्सटिंग्विशर

फायर एनओसी की नहीं है पुख्ता जानकारी

दूसरी तरफ RUSH अस्पताल में भी कोरोना मरीजों का उपचार किया जा रहा है. गनीमत है कि कम से कम यहां तमाम फायर इक्विपमेंट मौजूद हैं. लेकिन निगम के जिम्मेदार अधिकारियों को ये तक नहीं पता कि अस्पताल के पास फायर एनओसी है भी या नहीं. इसी के एवज में अस्पताल प्रशासन को नोटिस भी थमाया गया है कि वो फायर एनओसी की पुख्ता जानकारी उपलब्ध कराएं.

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हालांकि अब राज्य सरकार के निर्देश पर RUSH के अलावा भी प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार महात्मा गांधी, निम्स, फोर्टीज, सीके बिरला, दुर्लभजी जैसे अस्पतालों में भी कोरोना मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं और इन अस्पतालों के द्वारा फायर एनओसी भी ली गई है, लेकिन बड़ा सवाल ये कि प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल कसने वाले निगम प्रशासन ने अब तक सरकारी तंत्र से जुड़े क्वॉरेंटाइन सेंटर और कोविड केयर सेंटर की सुध क्यों नहीं ली.

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