जयपुर. राम जन्मभूमि को बचाने के लिए राजस्थान में जन जागरण कर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता जय बहादुर सिंह शेखावत का रविवार को निधन हो गया. इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने उनके अंतिम संस्कार में पहुंचकर उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं, दूसरी ओर भाजपा प्रदेश कार्यालय में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललित किशोर चतुर्वेदी की जन्मतिथि पर पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें भाजपा नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
जय बहादुर सिंह शेखावत के निधन पर पूनिया ने दी श्रद्धांजलि सतीश पूनिया ने कहा कि जय बहादुर सिंह शेखावत का उनके प्रति हमेशा प्रेम-लगाव रहा. पूनिया ने कहा कि जब वे प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे, तब शेखावत ने हाथ से लिखकर शुभकामना एवं बधाई पत्र भी उन्हें भेजा था. उनका कहना था कि जय बहादुर खुद एक बार एक बार उन्हें स्टेशन छोड़ने भी गए थे. साथ ही कहा कि हम उनके राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रवाद को लेकर किए जाने वाले सेवा कार्यों से हमेशा प्रेरणा लेते रहे है. नई पीढ़ी को भी उनके राष्ट्रसेवा के कार्यों से प्रेरणा मिलती रहेगी.
जय बहादुर सिंह शेखावत का जीवन परिचय
जय बहादुर सिंह शेखावत का जन्म 3 जून, 1927 को खाचरियावास ठाकुर और न्यायाधीश कल्याण सिंह के घर पर हुआ. जय बहादुर शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे. उनका पूरा जीवन संघ और उनकी गतिविधियों में समर्पित रहा. वे साल 1956 से 1966 तक संघ की जयपुर महानगर के कार्यवाहक रहे. अंतिम समय तक भी राष्ट्र, हिंदू समाज, धर्म की सेवा में उनका अमूल्य योगदान रहा है. पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत के चचेरे भाई जय बहादुर सिंह संघ से प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर किए गए आंदोलन में भी शामिल हुए थे. इसके लिए उन्होंने 3 महीने तक जेल में भी बिताए थे.
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इसके साथ ही प्रदेश में मंदिरों को बचाने के लिए होने वाले आंदोलन की अगुवाई भी की. राजधानी में भारत माता मंदिर की स्थापना में जय बहादुर की भूमिका सबसे अग्रणी रही. इसके बाद साल 1970 के कर्मचारी आंदोलन के दौरान भी वे जेल गए. फिर साल 1990 में राम जन्मभूमि आंदोलन में राजस्थान के स्वयंसेवकों के जत्थे का नेतृत्व भी किया. इस दौरान भी 14 दिसंबर, 1992 को उनकी गिरफ्तारी हुई. वे गौ-हत्या आंदोलन से शुरू से ही जुड़ गए थे. इस बीच जय बहादुर गौवंश संवर्धन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष भी चुने गए.
जय बहादुर साल 1966 से 1993 तक विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री रहे. सरकार ने उन्हें साल 1997 में गौ-सेवा आयोग का उपाध्यक्ष भी बनाया. इसके अलावा जय बहादुर वनवासियों और गौशालाओं को हर माह सहयोग राशि भेजते थे. 20 फरवरी को इन्हें राजस्थान सनातन पुरुष की उपाधि से सम्मानित किया गया. वे भगवत गीता ज्ञान प्रचार ट्रस्ट के संयोजक और गांधी विद्या मंदिर सरदारशहर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष भी रहे. सरसंघचालक गुरु गोवलकर और देवरस से इनका सीधा संपर्क रहा. गुरुजी के कई पत्र आज भी उनके संग्रह में मौजूद हैं.