जयपुर. प्रदेश में 31 दिसंबर के बाद लोक परिवहन की सेवाएं धीरे-धीरे बंद हो सकती है. जानकारी के मुताबिक मौजूदा सरकार ने 2 वर्ष के लिए लोक परिवहन सेवा का परमिट बढ़ाया था और अब उनकी मियाद 31 दिसंबर को पूरी होने जा रही है. हालांकि सरकार लोक परिवहन का नाम बदल कर इसे जारी रखने की बात कह चुकी है, लेकिन कोरोना काल के चलते इस पर आगे कुछ मंथन नहीं हो पाया है. अगस्त में सरकार ने निजी बसों के साथ लोक परिवहन की बसों के लिए भी टैक्स में छूट देकर इनको राहत प्रदान की थी. उस समय संचालकों ने परमिट आगे बढ़ाने के लिए भी कहा था, लेकिन कोरोना से निपटने की वजह से सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे पाई है.
अब परमिट खत्म होने में केवल एक माह का समय बाकी है. वहीं यदि परिवहन विभाग ने परमिट आगे नहीं बढ़ाया, तो 31 दिसंबर से 31 मार्च के मध्य करीब 4500 लोक परिवहन बसों के पहिए थम सकते हैं. यह सभी बसें प्रदेश और प्रदेश के बाहर विभिन्न स्थानों के लिए संचालित भी हो रही है. पिछली सरकार में करीब 500 मार्गों के लिए स्वीकृत कर इन बसों का संचालन का रास्ता साफ किया था, लेकिन सरकार बदलने से इन बसों को बंद करने की सुगबुगाहट होने लगी थी, लेकिन लगभग 2 साल पहले परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने परमिट को जारी रखने की बात कहकर इन सेवाओं को संजीवनी दे दी थी.
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इसके बाद से अब इन बसों का संचालन लगातार जारी है. अकेले जयपुर की बात की जाए, तो जयपुर से करीब 1000 बसों की रवानगी प्रदेश के विभिन्न जिले और उनके अलावा दिल्ली उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के लिए होती है. बता दें कि पिछली सरकार में लोक परिवहन बसों के संचालन को लेकर काफी बवाल हुआ था. तत्कालीन परिवहन मंत्री यूनुस खान इन बसों को जयपुर सिंधी कैंप से इस प्रदेश के केंद्रीय बस अड्डे से संचालित करने के लिए अड़े हुए थे. जिसके विरोध में रोडवेज की विभिन्न संगठन लामबंद हो गए थे.
इसके बाद जयपुर में लोक परिवहन सेवाओं के लिए आतिश मार्केट के नजदीक बस अड्डा बनाने के लिए जमीन चयन किया गया था, लेकिन करीब 4 साल गुजर जाने के बाद भी आज तक वहां बस अड्डे पर बस खड़ी दिखाई नहीं दी है. सिंधी कैम्प और नारायण सिंह सर्किल के साथ ही अन्य स्थानों से आज भी लोक परिवहन की बसे संचालित हो रही है. बता दें कि यह हाल राजधानी जयपुर ही नहीं, प्रदेश के सभी जिलों में यही हाल देखने को मिलता है.