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पूर्वी राजस्थान में ERCP की मुहिम पहुंची शादियों तक, जमीनी स्तर पर तेज हुआ जनसंपर्क...18 को जयपुर कूच की तैयारी - ERCP Campaign on Social Media

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने की मांग ने जमीनी आंदोलन के साथ (ERCP Campaign on Social Media) सोशल मीडिया की मुहिम का रूप ले लिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार केन्द्र सरकार से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग कर रहे हैं. अशोक गहलोत सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनका वादा याद दिलाते हुए इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने की मांग कर रही है. देखिए जयपुर से ये रिपोर्ट...

Demand to Declare ERCP as a National Project
जमीनी स्तर पर तेज हुआ जनसंपर्क

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Published : May 6, 2022, 7:47 PM IST

जयपुर.ERCP को लेकर राजनीति चरम पर है तो वहीं इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने की मांग लगातार रफ्तार पकड़ती जा रही है. इस सिलसिले में सियासी नजरिए से (Politics Over ERCP Project) जिलों में प्रदर्शन भी हुए और सभी 13 जिलों को फायदा पहुंचाने की मांग की गई, ताकि चंबल का पानी इन जिलों की प्यास बुझा सके. अब इस मसले ने कुछ इस तरह से जोर पकड़ लिया है कि लोग सामाजिक आंदोलन के रूप में इसे ले रहे हैं. गांव-ढाणी से लेकर आईपीएल के मैदान तक लोग ERCP का मसला उठा रहे हैं. यहां तक कि शादी के कार्ड में भी ERCP प्रोजेक्ट पर पूर्वी राजस्थान के लोग अपनी मांग को बताने में जुटे हैं.

ERCP छाया शादियों के बुलावे में :राजस्थान में इन दिनों शादियों का मौसम है. अप्रैल से शुरू हुई शादियों का दौर अभी जारी है. इस बीच बांटे जाने वाले कार्ड पर चंबल के पानी की मांग को पूरी तवज्जो के साथ रखा जा रहा है. कहीं-कहीं शादी समारोह के दौरान (ERCP Campaign Through Wedding Cards) बैनर पर बड़े-बड़े अक्षरों में "पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को चालू करो" की मांग को रखा जा रहा है. शादियों के निमंत्रण पत्रों पर लिखा जा रहा है कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को चालू करो, साथ ही कार्ड पर रहीम दास के दोहे "रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून" भी लोग लिखवा रहे हैं. कुल मिलाकर सियासी लड़ाई से परे पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लोग ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाए जाने को लेकर अभियान शुरू करने का आग्रह कर रहे हैं. इस मामले में सोश्यल मीडिया कैम्पेन के जरिए 18 मई को जयपुर में राजभवन के घेराव की तैयारी की जा रही है.

ERCP की मुहिम पहुंची शादियों तक...

कई तरह की मुहिम है जारी :ERCP के प्रोजेक्ट को लेकर पूर्वी राजस्थान के लोग गांव-गांव कैम्पेन कर रहे हैं. इस दौरान जनसंपर्क करने वाले लोग बैनर-पोस्टर के जरिए पानी के लिए जारी मुहिम को असरदार बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. इस मुहिम में महिला और पुरुष जमकर भागीदारी निभा रहे हैं. इन दिनों ऐसी तस्वीरें आम है, जिसमें देहाती परिवेश के लोग इस संबंध में 18 मई को जयपुर कूच की तैयारी कर रहे लोगों के साथ बतलाते हुए दिख रहे हैं. इसी तरह से मुम्बई के मैदान पर भी लोग इंडियन प्रीमियर लीग के दौरान ईआरसीपी प्रोजेक्ट को लेकर अपनी आवाज मुखर करते हुए नजर आए. ये लोग जो नारे दे रहे हैं उनमें 36 कौम की बात है, तो इस बात का भी जिक्र है कि लोग ज्यादा से ज्यादा हर सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान इस प्रोजेक्ट के लिए केन्द्र से बजट आवंटन से जुड़ी मांग को दोहराएं. गौरतलब है कि पेयजल-सिंचाई से जुड़े करीब 15 प्रोजेक्ट देशभर में राष्ट्रीय परियोजनाओं के दायरे में आते हैं. ऐसे में मांग की जा रही है कि इस प्रोजेक्ट को भी जल्द से जल्द केन्द्र सरकार राष्ट्रीय दर्जा दे.

सोशल मीडिया के जरिए कैंपेन...

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ये है पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना प्रोजेक्ट :पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने साल 2017-18 में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर प्लानिंग तैयार की थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री राजे के इस प्लान पर सत्ता बदलने के साथ ही सियासी बादल मंडराने लगे. सीएम अशोक गहलोत ने इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने की मांग केंद्र सरकार से की तो केंद्र ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने इसको लेकर अपने स्तर पर कुछ भी नहीं किया है. 1268 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट पर करीब 40 हजार करोड़ की रकम खर्च होगी. इस प्रोजेक्ट से राजस्थान की चालीस प्रतिशत से ज्यादा आबादी को लाभ होगा. यानी साढ़े तीन करोड़ के करीब की आबादी इससे लाभान्वित होगी.

ERCP को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग

परियोजना से पूर्वी राजस्थान के दौसा, करौली, धौलपुर, सवाई माधोपुर, भरतपुर और अलवर के अलावा राजधानी जयपुर को तो फायदा होगा ही. वहीं, हाड़ौती के कोटा, झालावाड़, बूंदी, बारां और टोंक के साथ-साथ अजमेर जैसे जिलों में सिंचाई और पीने का पानी मिल सकेगा. इस परियोजना के जरिए दक्षिणी राजस्थान में चंबल और इससे जुड़ी पार्वती, बनास, मोरेल, कुन्नू, बाणगंगा, गंभीरी और काली सिंध नदियों में बरसात से ओवरफ्लो पानी का उपयोग होगा. मतलब 02 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की जाएगी. मौजूदा सरकार की मंशा है कि अगर यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय परियोजना घोषित हो जाता है तो ज्यादातर बजट केंद्र सरकार देगी.

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विधानसभा चुनाव में भी रहेगा मुद्दा :13 जिलों से निकलने वाले ERCP प्रोजेक्ट में सियासी दलों की दिलचस्पी भी लाजमी है. इन जिलों के दायरे में 10 सांसदों समेत 82 विधायकों का चुनाव भी इन जिलों को करना होगा. इस मामले में मंत्री महेश जोशी और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के बीच सीधे बयानों के बाद दोनों दलों के बीच अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर ये मुद्दा छाया रहा. 2018 के चुनावों में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस ने यहां दोगुनी सीटों पर कब्जा किया, जबकि 2003 और 2008 में यह सारी सीटें बीजेपी के वर्चस्व वाली रही थी. फिलहाल, बसपा से आये 6 विधायकों को जोड़ दिया जाये तो कांग्रेस के खाते में 48 विधायक आते हैं. वहीं बीजेपी के महज 24 विधायक इन सीटों से बीते चुनाव में जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे. एक आरएलडी का और 9 निर्दलीय विधायक भी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना क्षेत्र से आते हैं. इसी तरह से 13 जिलों में 10 सांसद आते हैं. लिहाजा, जनता का इस मुहिम से जुड़ना हर किसी सियासी दल के लिए बड़े मायनों से जोड़कर देखा जा रहा है.

राजस्थान के इन जिलों में होगा असर...

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