जयपुर.राज्य सरकार ने राजस्थान नगरीय क्षेत्र अकृषि भूमि के कृषि उपयोग के लिए अनुज्ञा एवं आवंटन नियम 2012 में जनहित संशोधन कर राहत दी है. पूर्व में भू राजस्व अधिनियम की धारा 90ए की कार्रवाई कर मांग पत्र प्राप्त होने के 6 महीने में राशि जमा कराने के प्रावधानों को संशोधित कर 1 वर्ष किया गया है. यदि 1 वर्ष में राशि जमा नहीं होगी तो 90ए की कार्रवाई निरस्त हो जाएगी.
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के अनुसार नगरीय क्षेत्र कृषि भूमि का अकृषि उपयोग के लिए अनुज्ञा एवं आवंटन नियम 2012 में जनहित के आवश्यक संशोधन किया गया है. अब लीज जमा कराने की प्रक्रिया का पूर्ण सरलीकरण किया गया है. अब से व्यवसायिक में 5% लीज और अन्य सभी में 2.5% लीज देय होगी. धारीवाल ने बताया कि अब तक कृषि भूमि के पट्टे लीज होल्ड पर दिए जाते थे. जिसमें नया प्रावधान किया गया है. अब से कृषि भूमि के फ्री होल्ड पट्टे दिए जा सकेंगे.
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वहीं कृषि भूमि के पट्टों में निर्माण अवधि 7 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष की गई है. यदि 5 से 10 वर्ष की अवधि में कोई निर्माण नहीं करता है तो आवासीय दर की 1% राशि जमा करवाकर निर्माण अवधि विस्तार करवाया जा सकता है. यदि इसके बाद भी भूखंड पर निर्माण नहीं किया जाता है तो निकाय नोटिस देकर आवंटन निरस्त करेगा. स्वतंत्र भूखंडों में न्यूनतम एक इकाई निर्माण करना आवश्यक होगा. जबकि बड़े भूखंडों में आच्छादित क्षेत्र में भूखंड के 1/5 वें भाग तक न्यूनतम निर्माण आवश्यक है.
इसके साथ ही पंजीकृत विक्रय पत्रों के आधार पर नाम हस्तांतरण पर हस्तांतरण शुल्क 10 रुपए से बढ़ाते हुए 100 वर्ग मीटर तक 10 रुपए प्रति वर्ग मीटर, 100 से 300 वर्ग मीटर तक 15 रुपए प्रति वर्ग मीटर, 300 से 500 वर्ग मीटर तक 20 रुपए प्रति वर्ग मीटर और 500 से अधिक वर्ग मीटर पर 25 रुपए प्रति वर्ग मीटर किया गया है.