देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए इस बार उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया है. मगर फिर भी गंगा घाटों पर उमड़ने वाली भीड़ ने राज्य सरकार की पेशानियों पर बल ला दिया है. आस्था, आध्यात्म से जुड़े होने के कारण धर्मनगरी में श्रद्धालुओं को रोक पाना निश्चित ही राज्य सरकार ने लिए बड़ी चुनौती है. कांवड़ यात्रा रद्द करने के बाद श्रद्धालुओं को गंगाजल मुहैया करवाकर सरकार काफी हद तक इस पर रोक लगा सकती है, मगर आखिर किस तरह से कांवड़ियों को गंगा जल मुहैया कराया जाएगा, ये सरकार के लिए एक बड़ा सवाल है.
गौरतलब है कि बीते दिनों उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तरप्रदेश और हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कांवड़ यात्रा को लेकर विचार-विमर्श किया था. जिसमें वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की परिस्थितियों को देखते हुए कावड़ यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया गया. यही नहीं कावड़ से जुड़े संघों और संत-महात्माओं से भी यही प्रस्ताव मिला था कि फिलहाल कांवड़ यात्रा को इस सीजन में स्थगित कर दिया जाए.
राज्य सरकार ने सिर्फ कांवड़ यात्रा के स्वरूप को स्थगित किया है, लेकिन कांवड़ पर्व तो मनाया ही जाएगा. ऐसे में कांवड़ पर्व के दौरान गंगाजल का एक विशेष महत्व होता है. ऐसे में अन्य राज्यों से आने वाले कांवड़ियों को गंगाजल कैसे उपलब्ध कराया जाए? इसकी रणनीतियां बनाई जा रही हैं.