जयपुर. राजधानी में बुधवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने का विरोध हुआ और पीएम मोदी के खिलाफ नारे लगे. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले और वामपंथी दलों ने प्रदर्शन किया. पार्टी नेताओं ने कहा कि आर्टिकल 370 और 35ए हटाते समय केंद्र की मोदी सरकार ने लोकतंत्र के संविधान की सभी प्रक्रियाओं की अवहेलना की है.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मोदी सरकार ने ना तो वहां की जनता को विश्वास में लिया और ना ही वहां की राजनीतिक पार्टियों से चर्चा की. जम्मू-कश्मीर के बारे में कोई निर्णय होने से पहले वहां की राज्य सरकार से भी कोई विचार-विमर्श नहीं किया. इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले भारत की संसद और राजनीतिक दलों को अंधेरे में रखा. सभी नेताओं ने केंद्र की मोदी सरकार को अपना निर्णय वापस लेने की मांग की.
मार्क्सवादी नेताओं ने कहा कि वहां हजारों की संख्या में सैनिकों की तैनाती कर दी गई और सभी तरह की गतिविधियों पर भी पाबंदी लगाई. प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को हिरासत में लेकर कर्फ्यू और धारा 144 लगा दी. मोदी सरकार का यह निर्णय लोकतंत्र देश की संघीय ढांचे में संविधान का घोर उल्लंघन है, इसे रोका जाना चाहिए. राष्ट्रपति को दिए ज्ञापन में राष्ट्रपति से मांग की गई कि भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार को देश के लोकतंत्र संविधान में देश का संघीय स्वरूप को आघात पहुंचाने से रोके और कश्मीर के आवाम की भावना के अनुरूप समस्या का राजनीतिक समाधान निकालें. उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार को जम्मू-कश्मीर के बारे में अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के निर्णय को वापस लेना चाहिए.
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