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Protest Against Gehlot Government सरकारी कर्मचारियों ने गहलोत सरकार के खिलाफ बुलंद की आवाज - महासंघ एकीकृत की मांगें

सरकारी कर्मचारियों ने बुधवार को पूरे राजस्थान में गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इस दौरान उन्होंने सामंत एवं खेमराज कमेटी का कार्यकाल बढ़ाने पर नाराजगी जताई.

Anger Against Gehlot Government
सरकार के खिलाफ बुलंद की आवाज

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Published : Aug 24, 2022, 6:54 PM IST

Updated : Aug 24, 2022, 7:44 PM IST

जयपुर. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के बैनर तले (Protest Against Gehlot Government) राज्य सरकार के लाखों कर्मचारियों ने बुधवार को सरकार के खिलाफ नाराजगी जताते हुए आवाज बुलंद की. वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए गठित खेमराज कमेटी का कार्यकाल बढ़ाने और लंबित मांग पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं होने से नाराज कर्मचारियों ने सभी जिला मुख्यालयों पर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया.

महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में जयपुर में सैकड़ों कर्मचारी जयपुर जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. राठौड़ ने सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि प्रदेश का राज्य कर्मचारी पिछले 5 साल से अपनी वेतन विसंगतियों को दूर करने का इंतजार कर रहा है, लेकिन आज तक वेतन विसंगति दूर नहीं हो पाई. राठौड़ ने बताया कि 3 नवंबर 2017 को सरकार ने डीसी सामंत की अध्यक्षता में एक वेतन विसंगति निवारण समिति का गठन किया था, जिसका कार्यकाल 8 मई 2018, 8 अगस्त 2018, 31 दिसंबर 2018 और 4 जुलाई 2019 को बढ़ाया गया था.

कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ बुलंद की आवाज

5 अगस्त 2019 को सामन्त कमेटी ने रिपोर्ट राज सरकार को प्रस्तुत कर दी, लेकिन सरकार ने इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की. इसके दो साल बाद 5 अगस्त 2021 को खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में वेतन विसंगति दूर करने को लेकर एक अन्य कमेटी का गठन कर दिया और फिर से कमेटी के कार्यकाल बढ़ाने का सिलसिला चालू कर दिया. खेमराज कमेटी का कार्यकाल भी 1 नवंबर 2021, 3 फरवरी 2022 और 5 अगस्त 2022 को बढ़ाया जा चुका है. अब इस कमेटी का कार्यकाल अब 31 दिसंबर 2022 तक बढ़ाया जा चुका है. इससे कर्मचारियों में आक्रोश है.

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कर्मचारियों की मांग है कि (Demand from Rajasthan Government Employees) कमेटी का कार्यकाल बढ़ाने का सिलसिला अब खत्म होना चाहिए और दोनों ही कमेटियों की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए. राठौड़ ने कहा कि यदि सरकार ने कर्मचारियों की मांगें नहीं मानी तो सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. उन्होंने कहा कि 27 अगस्त को उदयपुर में एक विशाल रैली कर्मचारियों की ओर से निकाली जाएगी और एक आम सभा का आयोजन किया जाएगा. महासंघ एकीकृत हर जिले में जाकर सोए हुए कर्मचारियों को जगाने का काम करेगा और भविष्य में जयपुर में कर्मचारियों की ओर से एक विशाल धरना-प्रदर्शन का आयोजन भी सरकार के खिलाफ किया जाएगा. इस दौरान धरना-स्थल पर मुख्य सरंक्षक भंवर सिंह धीरावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कुलदीप यादव, राजेन्द्र प्रसाद शर्मा ओमप्रकाश चौधरी प्रहलाद राय आदि कर्मचारी नेता भी मौजूद रहे.

महासंघ एकीकृत की मांगें :

  • राज्य कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने एवं भत्ते तय करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित डीसी सामंत कमेटी और खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को शीघ्र प्रकाशित करना. ग्रेड पे 2400 व 2800 के लिए बनाए गए पे लेवल को समाप्त कर केंद्र के अनुरूप पे मेट्रिक्स निर्धारित करना.
  • राज्य कर्मचारियों को उनके सेवाकाल में कम से कम चार पदोन्नति के अवसर प्रदान करना तथा पदोन्नति नहीं होने की स्थिति में चयनित वेतनमान का परिलाभ 9, 18 व 27 वर्ष के स्थान पर 8, 16, 24 व 32 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने पर पदोन्नति पद के समान देना.
  • कांग्रेस के जन घोषणा पत्र-2018 में कर्मचारी कल्याण के तहत की गई घोषणाओं की अनुपालना संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए.
  • राज्य कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को जनवरी 2020 से जून 2021 तक के महंगाई भत्ते का शीघ्र भुगतान किया जाए.
  • राज्य कर्मचारियों के लिए स्पष्ट एवं पारदर्शी स्थानांतरण नीति लागू की जाए एवं तृतीय श्रेणी अध्यापकों के स्थानांतरण खोले जाएं.
  • अर्जित अवकाश की सीमा 300 दिवस से बढ़ाकर सेवानिवृत्ति तक जोड़ने के आदेश जारी किए जाएं तथा अराजपत्रित कर्मचारियों के लिए गोपनीय प्रतिवेदन की प्रणाली को समाप्त किया जाए.
  • निविदा एवं संविदा पर लगे कार्मिकों का पारिश्रमिक न्यूनतम 18000 रुपये तक किया जाए तथा उनका पारिश्रमिक का भुगतान प्लेसमेंट एजेंसियों की बजाय राज्य सरकार कर्मचारी के खाते में करें.
  • एमटीएस (बहुउद्देशीय कार्मिक) बजट घोषणा के अनुसार केंद्र सरकार के अनुरूप राज्य में एमटीएस का पद सृजित कर सहायक कर्मचारियों को समायोजित किया जाए तथा इनका प्रारंभिक वेतन 18000 रुपये निर्धारित किया जाए.
  • वर्क चार्ज कर्मचारियों के पदों को पूर्व की भांति नियमित पदों में शामिल करते हुए अन्य नियमित कर्मचारियों के समान समय बद्ध पदोन्नति का लाभ दिया जाए.
  • राजस्थान परिवहन निगम को सरकार के विभाग के रूप में समाहित किया जाए.
  • महासंघ (एकीकृत) से संबंधित संभी संगठनों के लंबित मांग पत्रों का द्विपक्षीय वार्ता के जरिए समाधान किया जाए.
Last Updated : Aug 24, 2022, 7:44 PM IST

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