जयपुर. महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-18 ने पति के जीवित रहते दूसरे व्यक्ति से विवाह करने के मामले में महिला न्यायिक अधिकारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत प्रसंज्ञान लिया है.
इसके साथ ही अदालत ने महिला न्यायिक अधिकारी को समन जारी कर तलब किया है. जबकि अदालत ने महिला न्यायिक अधिकरी के दूसरे पति के खिलाफ दायर परिवाद को खारिज कर दिया है. अदालत ने यह आदेश अनुराग वर्मा की ओर से दायर परिवाद पर दिए.
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परिवाद में कहा गया कि परिवादी और महिला न्यायिक अधिकारी का 10 अप्रैल 2013 को प्रेम विवाह हुआ था. जिसकी जानकारी परिजनों को नहीं थी. वहीं बाद में उसकी पत्नी का चयन आरजेएस में हो गया. नवंबर 2017 में परिवादी को पता चला कि उसकी पत्नी ने एक अन्य न्यायिक अधिकारी से विवाह कर लिया है.
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परिवाद में आरोप लगाया गया कि उसकी पत्नी ने विवाहित होते हुए बिना तलाक लिए दूसरा विवाह किया है. ऐसे में उसकी पत्नी और उसके दूसरे पति के खिलाफ कार्रवाई की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने महिला न्यायिक अधिकारी के खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए दूसरे पति के खिलाफ दायर परिवाद को खारिज कर दिया है.