जयपुर. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग में डिस्कॉम की टैरिफ याचिका पर सुनवाई करते हुए अघरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं की तर्ज पर अब घरेलू उपभोक्ताओं से स्थायी शुल्क (फिक्स चार्ज) वसूले जाने के प्रस्ताव को जन विरोधी और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए इसे कोरोना काल में पटरी पर लौट रही आम उपभोक्ताओं की जिंदगी पर दोहरी मार बताया है.
राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि राजस्थान में बिजली दर (टैरिफ) 8.13 पैसे प्रति यूनिट है, जो पड़ोसी राज्यों उत्तरप्रदेश और हरियाणा में क्रमशः 6.76 पैसे प्रति यूनिट और 5.65 पैसे प्रति यूनिट से काफी ज्यादा है. मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश व जल संरक्षण उपकर/फ्यूल सरचार्ज और शहरी सेस शून्य है, जबकि राजस्थान में जल संरक्षण उपकर/फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 49 पैसे प्रति यूनिट और शहरी सेस के नाम पर 15 पैसे प्रति यूनिट आम उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है.
वहीं, इसके अतिरिक्त प्रदेश में विद्युत शुल्क के नाम पर 40 पैसे प्रति यूनिट और अडानी कर के नाम पर 5 पैसे प्रति यूनिट वसूलने का जनविरोधी कार्य भी कांग्रेस सरकार की ओर से किया जा रहा है.
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राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार की ओर से अपने जन घोषणा पत्र में प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शत प्रतिशत और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने, बिजली में हो रही छीजत और चोरी रोकने का कलोप कल्पित दावा किया गया था, लेकिन कांग्रेस सरकार के सभी दावों की अब कलई खुल गई है.
राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार पहले से ही प्रदेश के सभी श्रेणी घरेलू, अघरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं से 250 रुपये प्रतिमाह से लेकर 25000 रुपये प्रतिमाह फिक्स चार्ज वसूल रही है.