जयपुर. केंद्र की मोदी सरकार बड़ी संख्या में सरकारी कंपनियों का विनिवेश करने जा रही है. दूसरे शब्दों में कहें तो केंद्र सरकार सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंप रही है. बताया जा रहा है कि इस साल 23 कंपनियों के निजीकरण को मंजूरी इस साल सरकार दे चुकी है. इसके साथ ही नीति आयोग भी लगातार ऐसी कंपनियों की सूची बना रहा है जिन्हें बेचने की कवायद आगामी समय में की जानी है.
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एक सर्वे के मुताबिक भारत में 384 सरकारी कंपनियां हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि जिस तेजी से सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है, आने वाले दिनों में सरकारी कंपनियों की संख्या घटकर महज 25 से 30 के बीच रह जाएगी. ऐसे में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सरकारी कंपनियों की नौकरी में मिलने वाले आरक्षण का क्या होगा यह बड़ा सवाल है. एससी, एसटी और ओबीसी को सरकारी कंपनियों में नौकरी में कुल 49.5 फीसदी आरक्षण मिलता है. जानकारों का कहना है कि निजी क्षेत्रों में आरक्षण का फिलहाल कोई प्रावधान नहीं है. ऐसे में इन वर्गों के युवाओं के लिए नौकरी हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा.
अखिल भारतीय आदिवासी विकास संस्थान के प्रदेशाध्यक्ष केसी घुमरिया का कहना है कि सरकार बड़े पैमाने पर सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंप रही है. ऐसे में आदिवासी समाज को आरक्षण देना का प्रावधान भी उन कंपनियों पर लागू नहीं होगा. इसमें एसटी, एससी, ओबीसी के आरक्षण के अंतर्गत आने वालों को काफी नुकसान भी होगा. इस निजीकरण का खामियाजा सर्व समाज को उठाना पड़ेगा. उनका यह भी कहना है कि आरक्षण के कारण गरीब तबके के लोगों को नौकरी मिलती है लेकिन सरकारी कंपनियों के निजीकरण के बाद यह आरक्षण नहीं मिलेगा.
निजी कंपनियां करेंगी मनमानी
निजी कंपनियां अपने हिसाब से कर्मचारियों की भर्ती करेंगी और तनख्वाह देंगी. अपने हिसाब से ही काम का समय तय करेंगी और कोई सुविधा भी नहीं देंगी. उनका यह भी कहना है कि जब शक्ल या काम पसंद नहीं आएगा तो कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा. इसलिए ये बहुत बड़ा मुद्दा है. जो न केवल आरक्षित वर्ग बल्कि सर्व समाज को प्रभावित करेगा. इसके विरोध में उन्होंने संवैधानिक तरीके से आंदोलन करने की भी चेतावनी दी है. उनका यह भी कहना है कि जहां ज्यादा जरूरी हो, उन्हीं कंपनियों का निजीकरण होना चाहिए.घुमरिया की यह भी मांग है कि जहां निजीकरण किया जाता है, उन कंपनियों में आरक्षण का भी प्रावधान लागू किया जाना चाहिए.