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अल्कोहल से बने सैनिटाइजर पर पुजारियों को आपत्ति, आयुर्वेदिक तरीका अपनाने में जुटा मंदिर प्रशासन

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Published : Jun 7, 2020, 4:55 PM IST

अनलॉक 1.0 में मंदिरों के कपाट 30 जून के बाद खुलने जा रहे हैं. लेकिन सैनिटाइजर में उपयोग आने वाले अल्कोहल से पुजारियों में बैचेनी है. ऐसे में मंदिर प्रशासन अब आयुर्वेदिक अल्कोहल बनाने में जुट गए हैं.

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अल्कोहल फ्री सैनिटाइजर

जयपुर.धार्मिक स्थलों को खोलने को लेकर केंद्र सरकार की गाइडलाइन सामने आ गई है. लेकिन राजस्थान में कुछ नियम कायदों को लेकर अभी से सवाल उठने शुरू हो गए हैं. उनमे से एक है अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का इस्तेमाल.

अल्कोहल से बने सैनिटाइजर पर पुजारियों को आपत्ति

जयपुर को छोटीकाशी भी कहा जाता है. ऐसे में गुलाबी नगर के मंदिरों के पुजारियों ने आने वाले भक्तों को बाजार में बिकने वाले सैनिटाइजर से हाथ धुलवाने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि इसमें 70 फीसदी से ज्यादा अल्कोहल होता है और मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर अल्कोहल से बनी चीजों का उपयोग नहीं हो सकता. ऐसे में अब जयपुर के मंदिरों में बड़े स्तर पर आयुर्वेदिक सैनिटाइजर बनाया जाना अभी से शुरू कर दिया गया है.

सैनिटाइजर बनाने में जुटा मंदिर प्रशासन

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जयपुर के परकोटा इलाके में स्थित प्राचीन द्वारकाधीश मंदिर प्रशासन मंदिर के पट खोलने की तैयारी में जुटा है. वहां मंदिर परिसर में ही गैस पर एक बड़े बर्तन में पानी गर्म किया जा रहा है. पता करने पर सामने आया कि यहां आयुर्वेदिक सैनिटाइजर बनाया जा रहा है. चौंकना लाजमी था कि आखिर इस सैनिटाइजर की क्या जरूरत पड़ गई. ऐसे में मंदिर से जुड़े लोगों और इसे बनाने वालों ने बताया कि 30 जून से जो भक्त वहां आने वाले हैं, पहले उनके हाथ इस आयुर्वेदिक सैनिटाइजर से साफ करवाए जाएंगे. उस के बाद ही सभी भक्तों को मंदिर के अंदर जाने दिया जाएगा, क्योंकि बाजार में बिकने वाले सैनिटाइजर में 70 फीसदी से ज्यादा अल्कोहल होता है. ऐसे में भारतीय और आयुर्वेदिक परंपरा के अनुसार बने आयुर्वेदिक सैनिटाइजर का प्रयोग ही मंदिर में किया जाएगा.

ऐसे बनाया जा रहा है आयुर्वेदिक सैनिटाइजर

आयुर्वेदिक सैनिटाइजर बनाने के लिए पानी को उबालकर उसमें फिटकरी, नीम, तुलसी का पाउडर और पत्ते, नींबू का रस और पाउडर, कपूर, लोंग जैसी चीजें मिलाई जाती है. इसे फिर ठंडा किया जाता है. ठंडा होने पर यह सैनिटाइजर की तरह उपयोग में लाया जा सकता है, क्योंकि इसका उल्लेख आयुर्वेद पद्धति में भी है. मान्यताओं के अनुसार यह शुद्ध भी होता है. ऐसे में छोटे-बड़े सभी मंदिर प्रबंधकों को इसी के उपयोग के लिए कहा गया है.

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मंदिरों में होंगे नियम कायदे

गौरतलब है कि 30 जून के बाद से प्रदेश के सभी मंदिर, मस्जिद समेत अन्य धार्मिक स्थल खुलेंगे. कोरोना से बचाव के लिए सरकार की ओर से धार्मिक स्थलों के लिए कई नियम कायदे लगाए जाएंगे. जिसमें घंटी बजाने और प्रसाद चढ़ाने की इजाजत नहीं होगी. साथ ही कोशिश की जाएगी कि एक साथ मंदिर में भक्तों की भीड़ ना उमडे़. ऐसे में भक्त भी मानते हैं कि पुजारी जो कहेंगे, उन्हें वह नियम कायदे मंजूर है. बस एक बार मंदिर के कपाट खुल जाए तो भक्त और भगवान के बीच लॉकडाउन के कारण बनी दूरी खत्म हो जाए.

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