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Published : Sep 8, 2020, 10:30 PM IST

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Special: प्रदेश के युवाओं को तोहफा देने की तैयारी में गहलोत सरकार, बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों का कोटा कम करने की तैयारी

राजस्थान सरकार भी अब स्थानीय युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता देगी. नौकरियों में राज्य के युवाओं को प्राथमिकता के लिए बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों का कोटा नियम से बनाकर कम करने की तैयारी की जा रही है. इन नियमों में ये भी ध्यान रखा जाएगा कि भर्तियां कोर्ट में ना अटके और प्रदेश के युवाओं को लाभ मिले.

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युवाओं को तोहफा देने की तैयारी में गहलोत सरकार

जयपुर.मध्य प्रदेश के बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी युवाओं को सरकारी नौकरियों में बड़ा तोहफा देने की तैयारी में है. यहां सरकारी नौकरियों में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों का कोटा नियम बनाकर कम करने की तैयारी की जा रही है. इन नियमों में ये भी ध्यान रखा जाएगा कि भर्तियां कोर्ट में ना अटके और प्रदेश के युवाओं को लाभ मिले.

प्रदेश में कनिष्ठ लिपिक भर्ती 2018 के रिक्त पदों पर भर्ती होनी है. रीट प्रथम और द्वितीय लेवल भर्ती-2018 के रिक्त पदों के लिए एक और प्रतीक्षा सूची जारी होनी है. इसके साथ ही कंप्यूटर शिक्षक भर्ती पर भी विचार किया जा रहा है, लेकिन इससे पहले अब अन्य राज्यों की तर्ज पर राजस्थान के युवा बेरोजगारों को भर्तियों में ज्यादा से ज्यादा मौका कैसे दिया जाए, इस पर भी मंथन किया जा रहा है.

युवाओं को तोहफा देने की तैयारी में गहलोत सरकार

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दरअसल, बीते दिनों मध्य प्रदेश सरकार ने भर्तियों में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों का कोटा खत्म कर दिया है. इसके बाद से प्रदेश में भी युवा बेरोजगारों ने राज्य सरकार से इसी तरह की मांग उठाई. युवाओं की मानें तो प्रदेश में वर्गवार सीटें रिजर्व हैं और जनरल की सीट पर 50 फीसदी से ज्यादा बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को मौका मिल जाता है. इसका खामियाजा प्रदेश के युवा बेरोजगारों को भुगतना पड़ता है. जब दूसरे राज्य भर्तियों में अपने राज्य के अभ्यर्थियों को मौका देने के लिए शर्तें लागू कर सकते हैं तो फिर राजस्थान में क्यों नहीं.

विभिन्न राज्यों ने भर्तियों में ये शर्तें कर रखी है अनिवार्य :

  • बिहार- तकनीकी सेवा आयोग, स्टाफ नर्स ग्रेड ए, बिहार परिचारिका निबंधन परिषद, पटना रजिस्टर्ड रहना अनिवार्य.
  • झारखंड- कर्मचारी चयन आयोग प्रतियोगिता परीक्षा 2018, स्थानीय निवासी ही आवेदन के पात्र.
  • मणिपुर- पब्लिक सर्विस कमीशन, मेडिकल ऑफिसर, वेटरनरी ऑफिसर सहित 24 भर्ती, 80 फीसदी सीटें आरक्षित.
  • मिजोरम- पब्लिक सर्विस कमीशन, जूनियर ग्रेड ऑफ एमएएच, 10वीं कक्षा में मिजो भाषा.
  • असम- पब्लिक सर्विस कमीशन, असिस्टेंट इंजीनियर, Bsc. असम सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थान से.
  • गोवा- पब्लिक सर्विस कमीशन, उच्च शिक्षा में असिस्टेंट प्रोफेसर और अन्य कोंकणी व मराठी का जानकार.
  • पश्चिम बंगाल- पुलिस भर्ती बोर्ड सब इंस्पेक्टर, बंगाली बोलना-पढ़ना-लिखना अनिवार्य.
  • हिमाचल प्रदेश- पब्लिक सर्विस कमीशन विभिन्न विभागों व बोर्ड में, हिमाचल प्रदेश के रीति रिवाज और बोली की जानकारी को अतिरिक्त छूट.
  • पंजाब- स्टेट पावर कॉरपोरेशन एलडीसी, 10वीं में पंजाबी भाषा.
  • तमिलनाडु- पब्लिक सर्विस कमिशन, विभिन्न भर्तियां, तमिलनाडु सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थान से यूजी और कुछ में स्थानीय भाषा की अनिवार्यता.
  • कर्नाटक- पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड, जेईएन, एईएन, 10वीं में कन्नड़ भाषा अनिवार्य.
  • महाराष्ट्र- स्टाफ विद्युत वितरण इंजीनियर, मूल निवास प्रमाण पत्र.
  • आंध्र प्रदेश- ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, इंजीनियर असिस्टेंट, आंध्र प्रदेश का निवासी.
  • हरियाणा- स्टाफ चयन बोर्ड, पीजीटी ग्रुप बी, 10 फीसदी सोशल इकोनामिक के अतिरिक्त.
  • मध्य प्रदेश- कार्यालय मुख्य अभियंता, उमरिया इंजीनियर, मध्य प्रदेश तकनीकी शिक्षण संस्थान से मान्यता प्राप्त संस्थान से डिग्री.
  • उत्तराखंड- अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थान से डिग्री.
  • केरल- कनिष्ठ डिवीजन क्लर्क, स्थानीय भाषा की जानकारी.
  • ओडिशा- स्टाफ चयन बोर्ड, जूनियर इंजीनियर, उड़िया भाषा पढ़ना-लिखना-बोलना, 10वीं कक्षा में उड़िया भाषा विषय के रूप में रही हो.

सीएम करेंगे अंतिम फैसलाः डोटासरा

वहीं, इस संबंध में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कानून के दायरे में रहते हुए ये कोशिश की जाएगी कि प्रदेश के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मौका मिले. उन्होंने कहा कि इसे लेकर अध्ययन करवाया जा रहा है, ताकि राजस्थान के मूल निवासियों को प्रदेश की भर्तियों में जगह मिल सके. हालांकि, इस पर अंतिम फैसला सीएम करेंगे.

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बहरहाल, प्रदेश का युवा अन्य राज्यों की तर्ज पर बाहरी राज्यों का कोटा खत्म करने की मांग कर रहा है. साथ ही प्रदेश के युवाओं को हर भर्ती में 15 अंक अधिक दिए जाने का नियम बनाने की भी मांग उठ रही है. हालांकि, ये मसला सीएम स्तर पर विचाराधीन है. संभव है कि सरकार जल्द इस प्रस्ताव को कैबिनेट में रखें.

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