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जयपुर : नगर निगम वसूलेगा कचरा संग्रहण शुल्क...मॉल और शॉपिंग सेंटर से होगी शुरूआत

जयपुर में नगर निगम प्रशासन की ओर से डोर-टू-डोर कचरा उठाने के लिए शुल्क वसूलने की तैयारी की जा रही है. हालांकि इसके लिए पहले लोगों को जागरूक किया जाएगा और इसकी शुरुआत बड़े मॉल और शॉपिंग सेंटर से की जाएगी.

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Published : Dec 19, 2020, 5:05 PM IST

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डोर टू डोर कचरा संग्रहण का शुल्क वसूलने की तैयारी

जयपुर.नगर निगम प्रशासन डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए शुल्क वसूलने की तैयारी कर रहा है. संभवतः इस शुल्क को बिजली के बिल में शामिल किया जाएगा. हालांकि इसके लिए पहले लोगों को जागरूक किया जाएगा. साथ ही इसकी शुरुआत सबसे पहले बड़े मॉल और शॉपिंग सेंटर से की जाएगी.

डोर टू डोर कचरा संग्रहण का शुल्क वसूलने की तैयारी

हाल ही में जयपुर ग्रेटर नगर निगम के 2 वार्डों में BVG कंपनी के बजाए निगम के संसाधनों से कचरा संग्रहण शुरू किया गया. वहीं, अब निगम प्रशासन डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के नाम पर शुल्क वसूलने की तैयारी भी कर रहा है. दरअसल, निगम प्रशासन के हर महीने कचरा संग्रहण पर तकरीबन 8 करोड़ रुपए खर्च होते हैं.

बावजूद इसके, शहर में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था अब तक प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई है. बता दें कि हूपर नहीं आने और कचरा नहीं उठने से हर दिन 100 से ज्यादा शिकायतें निगम में आती हैं और लगभग इतनी ही शिकायत पार्षदों तक पहुंचती हैं. ऐसे में शुल्क वसूली को माध्यम बनाकर इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात की जा रही है. जिसकी शुरुआत बड़े मॉल और शॉपिंग सेंटर से की जाएगी.

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इस संबंध में ग्रेटर नगर निगम महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर की मानें तो यदि नगर निगम प्रशासन बेहतर तरीके से कचरा संग्रहण कराता है और एक अच्छी सुविधा मुहैया कराता है तो शहर का जिम्मेदार नागरिक होने के नाते इसका एक न्यूनतम शुल्क भी तय होना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक शुल्क नहीं देंगे, तब तक उसके महत्व को नहीं समझेंगे. लोग रोड पर ही कचरा फेंक देते हैं. ऐसे में जयपुर ग्रेटर में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए शुल्क वसूल करने की रूपरेखा तैयार की जा रही है.

इसी के तहत हेरिटेज नगर निगम महापौर मुनेश गुर्जर ने बताया कि इस पर अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया जा रहा है, जो भी फैसला होगा. उसे जल्द सार्वजनिक किया जाएगा. हालांकि करीब डेढ़ साल पहले भी निगम के गलियारों में कचरा संग्रहण शुल्क वसूलने के लिए फाइलें एक कमरे से दूसरे कमरे तक दौड़ी थीं, लेकिन पहले लोकसभा चुनाव और फिर बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के चलते ये फाइलें ठंडे बस्ते में चली गईं. अब इन पर से धूल हटाकर एक बार फिर विचार-विमर्श शुरू किया गया है.

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