जयपुर. राज्य सरकार ने ईडब्ल्यूएस, एलआईजी के 60 वर्ग मीटर तक क्षेत्रफल के भूखंड/आवासों की बकाया राशि जमा कर नियमन का अधिकार स्थानीय निकायों को दे दिया है. सरकार ने तय किया है कि बकाया राशि जमा कराकर पट्टे लिए जा सकते हैं. राज्य सरकार ने ये फैसला प्रशासन शहरों के संग अभियान के मद्देनजर पट्टों की संख्या बढ़ाने के नजरिए से लिया, लेकिन 33 जिलों में अब तक बमुश्किल 832 आवेदन ही प्राप्त हुए हैं. 20 जिले तो ऐसे हैं, जहां एक भी आवेदन नहीं मिला.
कांग्रेस सरकार ने 2012 में प्रशासन शहरों के संग अभियान में करीब 5 लाख पट्टे बांटे थे. ऐसे में इस बार लक्ष्य पहले से दोगुना निर्धारित किया गया और आमजन को त्वरित राहत देने के लिए कई छूट दी गई. जबकि स्थानीय निकायों को अतिरिक्त शक्तियां भी प्रदान की गई. इन्हीं में से एक थी ईडब्ल्यूएस, एलआईसी के 60 वर्ग मीटर तक के भूखंडों/आवासों का आवंटन बहाल करने की, लेकिन नगरीय निकायों को इस क्रम में कोई खास सफलता नहीं मिली.
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प्रदेश के सभी 33 जिलों के आंकड़ों को खंगाला गया तो सामने आया कि ईडब्ल्यूएस, एलआईजी के 60 वर्ग मीटर तक क्षेत्रफल के भूखंड/आवासों के आवंटन को लेकर महज 832 आवेदन ही प्राप्त हुए हैं. इनमें भी 15 को अस्वीकृत किया गया है. जबकि 790 पट्टे जारी किए गए हैं. 33 में से 20 जिले तो ऐसे हैं, जिनमें एक भी आवेदन नहीं मिला और अगर संभागवार बात करें तो कोटा और भरतपुर संभाग तो पूरी तरह निल बटा सन्नाटा है.
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हालांकि, अब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल (UDH Minister Shanti Dhariwal) एक बार फिर निकायों को प्रशासन शहरों के संग अभियान को लेकर ताकीद करने के लिए 17 फरवरी को बैठक करने जा रहे हैं. जिसमें न सिर्फ पट्टे जारी करने को लेकर, बल्कि अवाप्तशुदा और अवैध रूप से बसी कॉलोनियों में पट्टा देने का रास्ता भी निकाला जाएगा.