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'राजस्थान में कोयले की आपूर्ति सुचारू नहीं होने से विद्युत उत्पादन प्रभावित'

राजस्थान में कोयले की आपूर्ति सुचारू नहीं होने के कारण विद्युत उत्पादन प्रभावित हो रहा है. प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से कोयले की आपूर्ति सुचारू करने की अपील की है. अगस्त में मानसून वर्षा की कमी और अपेक्षाकृत अधिक तापमान के कारण औसत विद्युत मांग में 700-800 लाख यूनिट की बढ़ोतरी हुई है. सामान्यतः अगस्त महीने में औसत 2000 लाख यूनिट प्रतिदिन विद्युत की मांग होती है, जो कि इस वर्ष बढ़कर 3100 लाख यूनिट तक पहुंच गयी है.

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राजस्थान विद्युत विभाग

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Published : Aug 30, 2021, 5:54 PM IST

जयपुर. प्रदेश में कोयले की आपूर्ति सुचारू नहीं होने के कारण विद्युत उत्पादन प्रभावित हो रहा है. प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से कोयले की आपूर्ति सुचारू करने की अपील की है. अगस्त में मानसून वर्षा की कमी और अपेक्षाकृत अधिक तापमान के कारण औसत विद्युत मांग में 700-800 लाख यूनिट की बढ़ोतरी हुई है. सामान्यतः अगस्त महीने में औसत 2000 लाख यूनिट प्रतिदिन विद्युत की मांग होती है, जो कि इस वर्ष बढ़कर 3100 लाख यूनिट तक पहुंच गयी है. 19 अगस्त को प्रदेश में अधिकतम मांग 14690 मेगावाट दर्ज की गई, जो कि प्रदेश के इतिहास में किसी भी वर्ष में सर्वाधिक है.

विद्युत विभाग की ओर से बयान जारी कर बताया गया कि कोयले की आपूर्ति न होने पर विद्युत उत्पादन प्रभावित हो रहा है. हर साल मानसून के दौरान थर्मल स्टेशनों का वार्षिक शट डाउन लिया जाता है, क्योकि मांससून में विद्युत मांग कम होती है और कोयला आपूर्ति भी कम होती है. वर्तमान में पूरे देश में लगभग 74,800 मेगावाट क्षमता के थर्मल और गैस प्लांट बंद चल रहे हैं, जो कुल क्षमता 2.30 लाख मेगावाट का 33 प्रतिशत हैं.

राजस्थान में कोयले की कमी के कारण सूरतगढ़ की 6 इकाइयां 25 अगस्त से और कालीसिंध इकाई दो 11 अगस्त और कालीसिंध इकाई संख्या एक 15 अगस्त, कवाई स्थित अडानी के थर्मल प्लांट की एक इकाई 24 अगस्त से बन्द है. इस प्रकार कुल 3400 मेगावाट विद्युत उत्पादन नहीं हो पा रहा है. साथ ही कोटा की 6 इकाइयां भी अपनी पूर्ण क्षमता के मुकाबले 70 प्रतिशत क्षमता पर ही कार्य कर पा रही हैं.

पूरे देश में विद्युत उत्पादन की कमी और उत्तर भारत में कम मानसून के कारण विद्युत मांग में बढ़ोतरी के कारण विद्युत एक्सचेंज में बिजली की दरों में अत्यधिक वृद्धि हो गयी है. एक्सचेंज से खरीद की औसत दर 3-4 रुपये से बढ़कर 10 रुपये तक पहुंच गयी है. विद्युत विभाग की ओर से बिजली की मांग को पूरा करने के लिए प्रचलित महंगी दरों पर भी बिजली एक्सचेंज से अधिकतम बिजली खरीदने के प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन पूरे उत्तर भारत में बिजली की खपत बढ़ने के कारण एक्सचेंज से भी पर्याप्त मात्रा में बिजली नहीं मिल पा रही है. एक्सचेंज में विद्युत उपलब्धता की कमी के कारण ग्रिड की सुरक्षा बनाये रखने के लिए राष्ट्रीय लोड डिस्पेच सेन्टर की ओर से किसी भी राज्य को ग्रिड से बिजली को ओवर ड्रा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है.

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कालीसिंध परियोजना की 600 मेगावाट प्रथम इकाई से विद्युत उत्पादन 29 अगस्त से सुचारू रूप से शुरू हो चुका है, लेकिन दूसरी इकाई को चालू करने के लिए कोयले की आपूर्ति की आवश्यकता है. बिजली का यह संकट केवल राजस्थान में ही नहीं है, बल्कि उत्तर भारत के उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और पंजाब में भी है. सितंबर के पहले सप्ताह में अगर पर्याप्त वर्षा नहीं होगी तो यह समस्या सितंबर महीने में भी पूरे उत्तर भारत में रह सकती है.

उत्पादन निगम की 3240 मेगावाट की इकाइयों के लिए कोयले की आपूर्ति कोल इंडिया से होती है. इसके लिए सीआईएल से 170 लाख मीट्रिक टन वार्षिक कोयले की आपूर्ति के लिए अनुबंध है, जो कि लगभग 11:5 रेक प्रतिदिन बनती है. वर्तमान में केवल 3 रेक प्रतिदिन की आपूर्ति हो रही है.

ऊर्जा विभाग की ओर से कोल इंडिया के अधिकारियों और भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय से समन्वय स्थापित कर कोयले की आपूर्ति को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहें है, लेकिन राज्य की विद्युत मांग के मध्येनजर वर्तमान में आपूर्ति अपर्याप्त है. ऊर्जा मंत्री बी. डी कल्ला और प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार ने दिल्ली जाकर प्रदेश में कोयले की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों से बातचीत की. राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से किसानों की आवश्यकता को देखते हुए समयबद्ध तरीके से कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित कराने का अनुरोध किया.

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