जयपुर.प्रदेश में बिजली की बढ़ती डिमांड के बीच राजस्थान में बिजली उत्पादन इकाइयां अब हांफने लगी हैं. इस बीच (Power Cuts in Rajasthan) जिला मुख्यालय को छोड़ शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में एक से डेढ़ घंटे की कटौती आज से शुरू कर दी गई. उत्पादन निगम पूर्ण क्षमता से बिजली का उत्पादन करने में अब भी विफल है. लेकिन अधिकारी तर्क देते हैं कि 38 साल में सर्वाधिक बिजली की डिमांड इस समय ही है. उत्पादन निगम के जिम्मेदार अधिकारी ये कहकर अपना बचाव कर रहे हैं कि, 38 साल में पहली बार बिजली डिमांड का रिकॉर्ड टूटा है. उनके अनुसार इस समय प्रदेश में 1 दिन में 13,700 मेगावाट से अधिक की बिजली की डिमांड हैं.
हालांकि समय के साथ बिजली उपभोक्ता भी बढ़ रहे हैं और संसाधन भी. ऐसे में बिजली की डिमांड बढ़ना (Coal Crisis in Rajasthan) पहले से तय था. लेकिन उत्पादन निगम के जिम्मेदार अधिकारी इसके अनुरूप न तो उत्पादन क्षमता बढ़ा पाए और न ही वर्तमान में मौजूदा उत्पादन क्षमता के अनुरूप उत्पादन कर पाए. उत्पादन निगम सीएमडी आर के शर्मा लगातार बैठक और उत्पादन निगम इकाइयों का दौरा कर खुद को व्यस्त रखते हैं, लेकिन उनकी इस व्यस्तता का सकारात्मक असर मौजूदा हालातों में विद्युत उत्पादन इकाइयों पर नहीं दिख रहा है.
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उत्पादन की तुलनात्मक स्थिति भी देखे:राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने साल 2020-21 में 29,141 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया था. जबकि साल 2021-22 में ये आंकड़ा 34,287.28 मिलियन यूनिट तक पहुंच चुका है. वहीं साल 2021 में जनवरी से अप्रैल तक 10,718. 85 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ था. तब प्रदेश में कोयले का संकट नहीं था. लेकिन इस बार कोयले का संकट ज्यादा है. इस बार जनवरी से 23 अप्रैल तक बिजली का उत्पादन 8,889.51 मिलियन यूनिट उत्पादन रहा. मतलब पिछले साल की तुलना में उत्पादन इकाइयों ने उत्पादन को बढ़ाया लेकिन डिमांड के अनुरूप अपनी इकाइयों की क्षमता नहीं बढ़ा पाए.
टेक्नोक्रेट के हाथ में कमान:राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की कमान टेक्नोक्रेट आर के शर्मा के हाथों में है. हाल ही में सरकार ने उत्पादन निगम के सीएमडी के रूप में उनके कार्यकाल को 1 साल के लिए बढ़ा दिया है. उम्मीद की जा रही थी कि उत्पादन निगम को आर के शर्मा के अनुभव का फायदा मिलेगा और भविष्य की बिजली की मांग की तुलना में उत्पादन इकाइयां खुद को उस क्षमता के अनुरूप विकसित कर लेगी. वर्तमान में प्रदेश की कुछ इकाइयां बंद हैं, या फिर कहें उनमें बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा. इनमें कालीसिंध पावर प्लांट की 600 मेगावाट और सूरतगढ़ की 250 मेगावाट की क्षमता वाली इकाई भी शामिल हैं. हालांकि इन इकाइयों में अब मई के पहले सप्ताह से बिजली का उत्पादन शुरू होने का दावा किया जा रहा है. वहीं कोटा की 210 मेगावाट क्षमता की इकाई भी अगले माह से शुरू हो पाएगी. प्रदेश में सूरतगढ़ की 660 मेगावाट की इकाई जनरेटर ट्रांसफार्मर फाल्ट से बंद पड़ी है. इसके जून में ही शुरू होने की संभावना है.
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10.5 रैक कोयला ही मिल पा रहा है:इस समय देश में कोयले का संकट चल रहा है और राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है. कोल इंडिया की ओर से प्रतिदिन 11.35 रैक के अनुपात में 10.5 रैक की आपूर्ति ही करवाई जा रही है. उत्पादन निगम की कुल आधारित 7,580 मेगावाट की इकाइयों से विद्युत उत्पादन के लिए प्रतिदिन कोयले की 27 रैक की जरूरत होती है. लेकिन एक रैक में 4,000 टन कोयला आता है. मतलब हर दिन 1 लाख 8000 टन कोयले की जरूरत है लेकिन इतना कोयला नहीं मिल पा रहा.