राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

Bhaiyyaji Joshi in Jaipur: 'कला के माध्यम से समाज में प्रदूषण फैलाया जा रहा है' - संभ्रांत जन संगोष्ठी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश जोशी शुक्रवार को भारत विकास परिषद, राजस्थान उत्तर-पूर्व प्रांत के संभ्रांत जन संगोष्ठी आयोजन में शामिल हुए. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने धर्म, देश शिक्षा सहित कई मुद्दों पर अपनी (Bhaiyyaji Joshi in Jaipur) बात कही.

Bhaiyyaji Joshi addressed the elite public seminar
Bhaiyyaji Joshi addressed the elite public seminar

By

Published : Jul 16, 2022, 1:43 PM IST

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भैयाजी सुरेश जोशी ने शुक्रवार को भारत विकास परिषद, राजस्थान उत्तर-पूर्व प्रांत की ओर से आयोजित प्रबुद्ध और संभ्रांत जन संगोष्ठी को संबोधित किया. इस दौरान भैयाजी सुरेश जोशी ने कहा है कि भारतीय चिंतन कभी आत्मकेंद्रित नहीं रहा, बल्कि सर्व कल्याण का रहा है. सबके साथ शांति के साथ चलने और रहने का संदेश देने वाला रहा है.

इस दौरान उन्होंने बताया कि आज भारत को जानने की महती आवश्यकता है. भारत को और समृद्ध बनाना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि भारत को भारतीय दृष्टि से जानने वाले कम है, हमें भारत को जानने वाला ही नहीं बल्कि भारत को मानने वाला भी बनना है. उन्होंने कहा कि भारत में कई आक्रांता आए, लेकिन वह भारत को समाप्त नहीं कर पाए, क्योंकि भारतीय समाज बहुकेंद्रित व्यवस्थाओं पर चलता था. हालांकि अंग्रेजों को थोड़ी मात्रा में सफलता मिली और भारतीय अंग्रेजी आक्रमण से प्रभावित हुए, इसी कारण से कई शिक्षित लोग भ्रमित हो जाते हैं.

पढ़ें- गहलोत के मंत्री ने किया मोदी सरकार के फैसले का समर्थन, कहा- सदन में गरिमापूर्ण तरीके से ही अभिव्यक्ति होनी चाहिए...

उन्होंने कहा कि आज भी भारतीय उस भाव से पीछे नहीं आए हैं. स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी वह मानसिक गुलामी से बाहर नहीं आ पाए हैं. इससे बाहर निकलने के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए. साथ ही भारत की श्रेष्ठ बातों का समाज में पर्कोलेशन होना चाहिए. सुरेश जोशी ने कहा कि देश को आगे ले जाने में विद्वान, रक्षा करने वाले, उद्योग-धंधे वाले, नियमित श्रम करने वाले सभी लोगों का योगदान रहा है. भिन्न-भिन्न शक्तियों के योगदान से हजारों वर्षों से हमारा समाज चलता आया है. उन्होंने शिक्षा के व्यवसायीकरण और कला के विकृत रूप पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि, भारत में विद्या बेचने का नहीं बल्कि दान का विषय रहा है. ज्ञान जीवन की शिक्षा देने वाला होना चाहिए. आज शिक्षा व्यापार हो गया है.

उन्होंने कहा कि देश में कला का श्रेष्ठ स्थान रहा है, लेकिन इसके माध्यम से समाज में प्रदूषण फैलाया जा रहा है, जिसे ठीक करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में धर्म का भी बड़ा महत्व रहा है, हम भाग्यशाली हैं जो हमने भारत में जन्म लिया. यहां जन्म लेने से हम प्राचीन संस्कृति और परंपराओं के वाहक बन गए हैं. यह सौभाग्य किसी दूसरे देश में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नहीं मिला है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details