जयपुर. कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नामांकन के एलान के बाद राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री पद पर कौन काबिज होगा, इसकी चर्चा राजस्थान विधानसभा में भी सदन के भीतर 'राइट टू हेल्थ बिल' पर चर्चा के दौरान रही. भाजपा विधायकों ने तो बिल पर चर्चा के दौरान (Politics on Right To Health Bill) इसका इजहार तक कर दिया. भाजपा ने इशारों-इशारों में यह तक संकेत दे दिए कि यह सरकार अब स्थिर रहे, इसकी संभावना कम है. कटारिया ने इसे सरकार के आने जाने की निशानी बताया.
गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें, हम देंगे बधाई, लेकिन इतिहास बनाने के लिए ना करें जादूगरी : सदन में राइट टू हेल्थ बिल पर चर्चा के दौरान राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सरकार आनन-फानन में अचानक सर्कुलेट यहां ले आए, लेकिन इतिहास इससे नहीं बनता. राठौड़ ने कहा कि सदन के नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हम उन्हें बधाई देंगे, लेकिन वो एक इतिहास बनाने और अपना नाम अंकित कराने के लिए ऐसा काला व खोटा कानून पास करवाना चाहते हैं वो ठीक नहीं. राठौड़ ने कहा कि मैं चाहता हूं कि सरकार इस बिल को प्रवर समिति में भेजें और चर्चा करें, क्योंकि यह जादूगर की जादूगरी मेरी समझ के परे है.
ये क्रेडिट लेने की जंग क्या सरकार आने-जाने की निशानी है ? वहीं, इस बिल पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जिस जल्दबाजी में यह बिल लेकर आया गया है, उससे विधानसभा का भी अपमान हुआ है. कटारिया ने कहा कि यह जल्दबाजी क्या सरकार के आने जाने की निशानी है कि मैं जाऊं तो इस विधेयक का क्रेडिट लेकर जाऊं और यह कानून मेरे खाते में लिखा जाए. कटारिया ने कहा कि अधिकारियों को भी ऐसी क्या जल्दबाजी थी, क्या आसमान गिर रहा था या धरती फट रही थी या राजस्थान डूब रहा था, जो इस विधेयक को जल्दबाजी में ले आए और विधायकों को एक दिन पहले ही यह सर्कुलेट किया गया. कटारिया ने कहा कि हम इस कानून के विरोध में नहीं हैं, लेकिन बिना तैयारी के झुनझुना पकड़ा देने से यह बिल प्रदेश की जनता के लिए उपयोगी साबित नहीं होगा.