जयपुर. ईस्टर्न राजस्थान कैनल प्रोजेक्ट को लेकर पूरे प्रदेश में सियासत परवान पर है. रविवार को दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस प्रोजेक्ट के लिए फंड जारी करने की मांग की थी. आदिवासी दिवस के मौके पर राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीणा (Kirodi Lal Jal Kranti Yatra) अपने बैनर तले एक यात्रा के जरिए की ERCP का मसला उठाने वाले हैं. इन सबके बीच किसान भी लगातार इसी मसले को लेकर अपनी बात रखने की कोशिश कर रहा है. सबको पानी चाहिए और इस पानी के लिए सरकारों को बजट की जरूरत है.
ईटीवी भारत राजधानी जयपुर समेत आसपास के इलाके के लिए किसी दौर में वाटर लाइफलाइन रहे रामगढ़ बांध की आज की हालत आपको दिखाने जा रहा है. 100 साल से भी ज्यादा पुराने इस बांध का गला आज सूखा हुआ है. साल 2005 के बाद ही इस बांध में पानी नहीं आया. वह भी एक दौर था जब साल 1981 में आयोजित एशियाड खेल प्रतियोगिता में नौकायन के मुकाबले (Condition of Jaipur Ramgarh Dam) जयपुर में रामगढ़ बांध पर आयोजित किए गए थे. इस ऐतिहासिक विरासत और प्रमुख पेयजल स्रोत रहे बांध की स्थिति को लेकर आज स्थानीय बाशिंदे भी परेशान है, लेकिन सियासत नए प्रोजेक्ट को लेकर जारी है और पुराना हाशिए पर चला गया है.
स्थानीय लोगों की उम्मीदों का बांध : जयपुर के रामगढ़ बांध के आसपास मजदूरी और चरावे का काम करने वाले सीताराम और कजोड़ कहते हैं कि सरकारी अगर चाहे तो क्या नहीं मुमकिन है, बरसात भी कम है और सरकार की मंशा भी कमजोर है, वरना रामगढ़ बांध कभी सूखा नहीं होता. कजोड़ 1981 में आई बाढ़ का जिक्र करते हुए बताते हैं कि 65 फीट स्तर के इस बारे में जब चादर चली तो 4 फीट ऊपर तक रपट से पानी निकल कर गया था. इस दौरान बांध के सामने का गड्ढा बताते हुए कहते हैं कि वे सब प्रत्यक्षदर्शी थे और बाढ़ के कारण ही बांध के नजदीक बड़ा गड्ढा बन गया था. खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने आकर बांध के दरवाजे खुलवाए थे.
स्थानीय निवासी अंकुर माहेश्वरी बताते हैं कि बांध के सूख जाने के बाद आसपास के गांव के लोगों के रोजगार के साधन ही सीमित हो गए, लिहाजा ग्रामीणों ने शहर की तरफ पलायन तेज कर दिया. अंकुर बताते हैं कि बांध की सूखने के बाद भूमिगत जल पर किसान निर्भर हो चुके हैं, लिहाजा लगातार जल स्तर में भी गिरावट देखी जा रही है. बांध में पानी पहुंचाने वाली बाणगंगा और ताला जैसी मुख्य नदियां अतिक्रमण की चपेट में है और सरकारें इस पर मूकदर्शक बनकर देख रही है. स्थानीय निवासी और राजपूत समाज के नेता लक्ष्मण सिंह जी कहते हैं कि 81 का वह दौर आज की तुलना के हिसाब से सुनहरा युग था. जिस बांध ने 50 बरस तक जयपुर को पानी पिलाया है वह बाद आज सूखा पड़ा हुआ है. सरकार थोड़ी सी इच्छा शक्ति दिखाए तो कायापलट कर सकती है.
ईआरसीपी पर किरोड़ी लाल के बोल : 9 अगस्त को महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा देकर अगस्त क्रांति का आगाज किया था. इस मौके पर विश्व आदिवासी दिवस भी मनाया जाता है. राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता किरोड़ी लाल मीणा इस दिन ERCP पर जल क्रांति यात्रा निकालेंगे. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के जरिए चंबल का पानी प्रदेश के 13 जिलों में लाए जाने की योजना है. सांसद किरोडी लाल मीणा का कहना है कि अगस्त क्रांति की तर्ज पर जल क्रांति का नाम देख कर भेज चंबल के व्यर्थ बह रहे और कैद में पड़े पानी को आजाद करवा कर लाना चाहते हैं. किरोड़ी लाल मीणा वही नेता हैं, जिन्होंने एक दौर में रामगढ़ बांध के लिए भी आवाज उठाई थी और फिर उसका नतीजा क्या रहा आज रामगढ़ बांध की हालत के रूप में सबके सामने है. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि 75 हजार लोगों के साथ जयपुर आकर मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे, लेकिन सवाल यह है कि रामगढ़ बांध का क्या ?
जन समस्या निवारण मंच की मांग : जयपुर में सामाजिक कार्यकर्ता और जन समस्या निवारण मंच के अध्यक्ष सुरेश सोनी ने भी मांग की है कि रामगढ़ बांध पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. सूरज सोनी ने कहा कि अच्छी बारिश के दौर में प्रदेश की नदियों के जरिए ज्यादातर बांधो तक पानी पहुंचा है. उन्होंने कहा कि डेढ़ दशक से भी ज्यादा वक्त से रामगढ़ बांध जो कभी जयपुर की प्यास बुझाता था, आज खुद प्यासा दिख रहा है. सरकारें डीपीआर बनाती है, लेकिन उन्हें अमल में नहीं लाया जाता है. सूरज सोनी ने कहा कि सरकार अगर प्रयास करें तो जयपुर के साथ-साथ भरतपुर तक के हिस्से को रामगढ़ बांध से पानी मिल पाएगा. साथ ही पर्यावरण के लिहाज से भी यह खासा उपयोगी होगा. सरकार को रामगढ़ बांध को पुनर्जीवित करने की तरफ ध्यान देना चाहिए.