जयपुर. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भरतपुर संभाग के सबसे बड़े आरबीएम अस्पताल को पीएम रिलीफ फंड से आवंटित 40 में से 10 सरकारी वेंटिलेटरों को जिला प्रशासन के अधिकारियों एवं रसूखदारों की मिलीभगत से निजी अस्पताल को सुपुर्द कर गरीबों के हक की सांसों का सौदा करने वाले सौदागरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. वहीं, प्रधानमंत्री केयर फंड से मिले वेंटिलेटर्स का इस महामारी में उपयोग करने के संबंध में राठौड़ ने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है.
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राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना संकट में कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए एक ओर राज्य सरकार अस्पतालों में वेंटिलेटरों की कमी का रोना रो रही है, तो वहीं दूसरी ओर प्रशासन के आला अधिकारी सांठगांठ कर गरीब जनता के हक के वेंटिलेटरों को निजी अस्पतालों को भेज रहे हैं. जहां इन अस्पतालों की ओर से सरकारी वेंटिलेटरों का उपयोग कर प्रतिदिन लाखों रुपए चार्ज मरीजों से वसूला जा रहा है.
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गई है और जीवन रक्षक उपकरण वेंटिलेटर सहित अन्य संसाधनों के अभाव में मरीज जिंदगी की जंग हार रहे हैं. राज्य सरकार के कुप्रबंधन व प्रशासन की मिलीभगत का खामियाजा अधिकतर मरीजों को अपनी जान गंवाकर चुकाना पड़ रहा है क्योंकि उनके हक के सरकारी संसाधनों को मनमर्जी से निजी अस्पतालों को दिया जा रहा है.
राठौड़ ने सीएम गहलोत को लिखा पत्र राठौड़ ने कहा कि कोरोना के इस प्रलय के समय पर गरीबों के हक की सांसों को बचाने के लिए राज्य सरकार के पास किसी संसाधन की कमी ना हो, इस दिशा में केन्द्र सरकार लगातार मदद भेज रही है. लेकिन प्रशासन के आला अधिकारी सरकारी सहायता को निजी अस्पताल को देकर अस्पताल में भर्ती गरीब मरीजों को इलाज से महरूम रख रहे हैं और निजी अस्पताल सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग कर जमकर चांदी कूट रहे हैं.
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राठौड़ ने कहा कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारी वेंटिलेटरों का उपयोग कर निजी अस्पताल मरीजों से भारी भरकम दाम वसूल रहे हैं. वहीं यह मामला उजागर होने के बाद अब जिला प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने के लिए एक वेंटिलेटर के उपयोग की एवज में 2 हजार रुपये प्रतिदिन का किराया वसूलने का आदेश देकर स्वयं को क्लिन चिट देने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि सरकारी वेंटिलेटरों को निजी अस्पताल को सुपुर्द करने के आपराधिक कृत्य की निष्पक्ष जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.