जयपुर. रिश्वत में अस्मत मांगने वाले आरपीएस कैलाशचन्द बोहरा की अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर सियासत गरमा गई है. बीजेपी ने बोहरा को बर्खास्त नहीं करने पर सरकार की नियत पर सवाल उठताते हुए आरोप लगाया है कि सदन में जो कहा उसे पूरा नहीं किया. यह महिला उत्पीड़न के खिलाफ काग्रेस सरकार की संवेदनहीनता का नमूना है. वहीं, सरकार ने साफ कर दिया कि नियमों के तहत कार्रवाई होगी, अभी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी है, आगे बर्खस्तगी की कार्रवाई की जाएगी.
रिश्वत के बदले अस्मत मांगने वाले आरोपी आरपीएस कैलाश बोहरा को प्रदेश की गहलोत सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है, लेकिन विपक्ष में बैठे बीजेपी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति रास नहीं आ रही है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान जो कहा उसे पूरा नहीं किया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सोशल मीडिया के जरिए सरकार पर आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार का एक और यू-टर्न मामला है. सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान सदन में इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस माना था. सरकार ने सदन में कहा था कि ऐसे आरोपी को बर्खास्त किया जाएगा, लेकिन सरकार ने बर्खास्त करने की वजह सेवानिवृत्ति दे दी. सरकार का यह निर्णय महिलाओं के खिलाफ कांग्रेस सरकार की संवेदनहीनता का नमूना है.
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वहीं, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी सोशल मीडिया के जरिए कहा कि सरकार की एक बार फिर कथनी और करनी का अंतर सामने आया है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि जयपुर में रिश्वत के बदले में महिला की अस्मत मांगने के आरोपी अधिकारी कैलाश बोहरा के मामले में उसे रेड कारपेट पर विदाई दी जा रही है और पेंशन और अन्य भत्ते देकर उपकृत किया जा रहा है. राज्य सरकार अपराधी को कड़ा संदेश नहीं देकर उनके हौसले बुलंद कर रही है.