जयपुर. राजस्थान की राजनीति इन दिनों हिंदुत्व के इर्द-गिर्द घूम रही है. करौली हिंसा मामला (Karauli Violence) इसका ताजा उदाहरण है, जिसे भुनाने में बीजेपी ने जयपुर से लेकर दिल्ली तक लगातार दौड़-भाग की. 2 अप्रैल को हुई इस घटना के बाद हर दिन भाजपा इस मामले को अलग-अलग तरीकों से उठाती रही. कांग्रेस ने भाजपा पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाया तो भाजपा ने सत्तारूढ़ दल पर तुष्टीकरण का. माना यह भी जा रहा है कि हिंदुत्व के इस मुद्दे के जरिए ही भाजपा 'मिशन 2023' पर फोकस कर रही है.
अब वसुंधरा और तेजस्वी सूर्या भी जाएंगे करौली : करौली में 2 अप्रैल को नव संवत्सर के मौके पर हुई हिंसा के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता वहां लगातार दौरे कर रहे हैं. पिछले दिनों राजेन्द्र राठौड़ की अगुवाई में पार्टी के प्रमुख नेताओं का प्रतिनिधिमंडल करौली गया था और उसके बाद सांसद किरोड़ी लाल मीणा सहित अन्य नेता भी वहां पहुंचे थे. अब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मंगलवार को करौली जाएंगी तो वहीं 13 अप्रैल को भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्य का भी करौली जाने का कार्यक्रम है.
हालांकि, वसुंधरा राजे वहां कैला देवी माता के दर्शन करेंगी. फिलहाल उनका यही कार्यक्रम बताया जा रहा है, लेकिन तेजस्वी सूर्य करौली में पीड़ित परिवारों से भी मिलेंगे और घटनाक्रम की पूरी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भी सौंपेंगे. मतलब साफ है कि बीजेपी हिंदुत्व से जुड़े इस मुद्दे को भुनाकर (BJP Mission 2023 in Rajasthan) साल 2023 की चुनावी वैतरणी पार करने में जुट गई है.
जयपुर से दिल्ली तक भाजपा की प्रेस वार्ता कर रही यह भी इशारा : करौली हिंसा के मामले में भाजपा नेताओं ने जयपुर से लेकर दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय तक में प्रेस वार्ता कर कांग्रेस और प्रदेश की गहलोत सरकार को आड़े हाथों लिया. सीधे तौर पर आरोप कांग्रेस पर तुष्टीकरण का लगाया. मकसद प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी को भाजपा से जोड़ना था और उसके लिए हिंदुत्व से बड़ा मुद्दा कुछ हो ही नहीं सकता, जिसे बीजेपी ने बखूबी उठाया. करौली मामले में दिल्ली में प्रेस वार्ता होना इस बात का भी सबूत है कि इस मामले को लगातार उठाए रखने के निर्देश भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भी मिले हैं.