जयपुर. राजस्थान में एक तरफ मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर चल रहा इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है तो दूसरी ओर अब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने राजस्थान के दौरे करने शुरू कर दिए हैं. भले ही 23 अगस्त से शुरू हुए 3 दिन के दौरे में केंद्र हेमाराम चौधरी के भाई के देहांत पर बैठने को बनाया हो, लेकिन जिस तरह से जोधपुर से बाड़मेर हेमाराम चौधरी के घर उनके भाई के निधन पर शोक जताने पहुंचे पायलट को पूरे रास्ते में समर्थकों और आम लोगों का अपार जनसमर्थन मिला, उससे विरोधी खेमे में मानो लहलच सी मच गई है.
जानकार यही कहते नजर आ रहे हैं कि सचिन पायलट ने अपने राजनीतिक विरोधियों को इन दौरों से यह मैसेज देने का प्रयास किया है कि जनता में उनकी पकड़ अब भी ढीली नहीं हुई है. दो दिवसीय दौरे में पायलट ने बाड़मेर, जोधपुर, पाली, अजमेर, दौसा और अलवर जिलों को नाप दिया. इस दौरान पायलट को जिस तरीके से जनसमर्थन मिला, उससे राजस्थान में सियासी हलचल एक बार फिर से तेज हो गई है.
विधायकों की दूरी, लेकिन जनता का जबरदस्त समर्थन... राजनीतिक विरोधियों को बड़ा संदेश...
राजस्थान में जब बीते साल सियासी उठापटक (Rajasthan Political Crisis) हुई तो सचिन पायलट के लिए यह कहा जाने लगा कि वह पूर्वी राजस्थान और एक जाति विशेष के नेता हैं. इसी बीच कोरोना महामारी के चलते मजबूरन सचिन पायलट को करीब डेढ़ साल तक अपने राजनीतिक दौरों को टालना पड़ा. हालांकि, किसान सम्मेलन के नाम पर सचिन पायलट ने चाकसू, भरतपुर और दौसा में सभा जरूर की, लेकिन उन सभाओं में आई भीड़ को एक जाति विशेष की भीड़ बताते हुए सचिन पायलट को पूर्वी राजस्थान का नेता स्थापित करने का प्रयास किया गया. लेकिन जिस तरीके से सचिन पायलट ने इस बार पश्चिमी राजस्थान और खास तौर पर मुख्यमंत्री (CM Ashok Gehlot) के गृह जिले जोधपुर से अपने फील्ड दौरों की शुरुआत करते हुए समर्थन जुटाया है, यह सीधे तौर पर अपने सियासी विरोधियों को पायलट का संदेश है कि वह किसी जाति विशेष या पूर्वी राजस्थान के ही नेता नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान में उनका जनता से जुड़ाव है.
जनता का जबरदस्त समर्थन... गहलोत कैंप के विधायकों ने बनाई दूरी, लेकिन जनता का मिला पूरा समर्थन...
सचिन पायलट 23 अगस्त को जोधपुर से बाड़मेर पहुंचे और उन्होंने नाइट स्टे भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शहर जोधपुर में किया. अगले दिन वह जोधपुर से जयपुर सड़क मार्ग से आए. इस दौरान पायलट के दौरों में पायलट कैंप के विधायक राकेश पारीक, मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया ही पायलट के साथ मौजूद रहे और गहलोत कैंप के किसी विधायक ने पायलट से मुलाकात नहीं करते हुए उनसे दूरी बनाए रखी.
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भले ही पायलट से विधायकों ने मुलाकात नहीं की हो, लेकिन जोधपुर एयरपोर्ट से बाड़मेर और बाड़मेर से जोधपुर, पाली, अजमेर और जयपुर तक रास्ते में जगह-जगह पायलट को जनता का अभूतपूर्व समर्थन मिला, जिससे पायलट कैंप में जबरदस्त उत्साह है.
अपने फील्ड दौरे में पायलट ने मोदी सरकार को घेरा, धार्मिक यात्रा की और पंचायतों में चुनाव प्रचार भी किया...
सचिन पायलट ने अपने फील्ड दौरे के जरिए अपने सहयोगी विधायक हेमाराम के घर जाकर उनके भाई के निधन पर शोक जताया तो वहां से पायलट सीधे ब्रह्मधाम आसोतरा ब्रह्मा मंदिर भी पहुंचे. इस दौरान पायलट का रास्ते में कई जगह भव्य स्वागत भी किया गया. पायलट ने 24 अगस्त को रात्रि विश्राम भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में किया, जहां पर भी उनसे कई नेताओं ने मुलाकात की.
गहलोत कैंप ने बनाई दूरी... 24 अगस्त को पायलट लूणी पहुंचे और उन्होंने कांग्रेस नेता श्याम खींचड़ की मां के निधन पर शोक जताया. वहां से पायलट पाली, अजमेर होते हुए जयपुर आए, जहां लोगों ने जन समर्थन सचिन पायलट को दिया. इतना ही नहीं, पायलट ने अपने फील्ड दौरे के अंतिम दिन 25 अगस्त को अपने पूर्वी राजस्थान को भी संभाल लिया और बस्सी, दौसा, सिकंदरा में पायलट ने कांग्रेस के पक्ष में पंचायती चुनाव का प्रचार भी कर दिया. इसके बाद पायलट अलवर के रैणी पहुंचे, जहां उन्होंने दानपुर में गहलोत कैंप के विधायक जौहरी लाल मीणा की ओर से करवाए जा रहे धार्मिक कार्यक्रम में भी शिरकत की.
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ऐसे में पायलट ने अपने दौरे में सियासी प्रतिद्वंद्वियों को जनता के समर्थन से एक मैसेज दिया तो वहीं मंदिर जाकर उन्होंने भगवान को भी याद किया और पंचायती राज चुनाव में अपने समर्थकों के पक्ष में प्रचार भी कर दिया. यात्रा के अंतिम पड़ाव पर गहलोत कैंप के विधायक जौहरी मीणा के कार्यक्रम में शिरकत कर गहलोत कैंप में सेंध लगाने का मैसेज भी दे दिया. ऐसे में पायलट ने अपने इस सियासी दौरे से एक तीर से कई निशाने लगा लिया.
सियासी हलकों में चर्चा, क्या पायलट फिर संभालेंगे प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी ?
राजस्थान में एक ओर मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है तो दूसरी ओर अब एक और चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि सचिन पायलट फिर से राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं. इस चर्चा को बल उस समय मिला, जब सचिन पायलट 20 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर अपने पुराने स्वरूप में दिखाई दिए. राजीव गांधी पर बनी शॉर्ट फिल्म को लॉन्च करते समय प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने अपने साथ सचिन पायलट और महेश जोशी को रखा, जबकि उस समय प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में कई विधायक और बड़े नेता मौजूद थे. इसके आगे अब जैसे ही पायलट ने अपने 3 दिवसीय दौरे में जनता का समर्थन हासिल करने और यह बताने का प्रयास किया है कि वह केवल पूर्वी राजस्थान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनके समर्थक प्रदेश में हर कोने में मौजूद है.
अब पायलट की राजनीतिक दौरे हो सकते हैं नहरी क्षेत्रों में, हनुमानगढ़-गंगानगर पर नजर...
सचिन पायलट ने अपनी ताकत पश्चिमी राजस्थान में दिखा दी है और अब कहा जा रहा है कि सचिन पायलट के अगले दौरे किसानों को साधने के लिए नहरी क्षेत्र में कर सकते हैं. गंगानगर, हनुमानगढ़ जाकर सचिन पायलट नहरी क्षेत्र के किसानों को साधने के साथ ही यह संदेश देने का प्रयास करेंगे कि उन्हें पूरे राजस्थान में जनता का समर्थन हासिल है.