जयपुर. राजस्थान में पूर्व राज परिवार के सदस्य वक्त, हालात और अपने फायदे के हिसाब से राजनीतिक दलों को चुनते और छोड़ते रहे. लेकिन सियासत में उनका प्रभाव और रुतबा कायम रहा. राजस्थान के राज परिवारों के सियासी सफर किन मोड़ से होकर गुजरा, जयपुर से वरिष्ठ संवाददाता पीयूष शर्मा की इस रिपोर्ट के जरिये समझिये.
राजस्थान के प्रमुख पूर्व राज परिवारों में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसने राजतंत्र के खात्मे के बाद राजनीति में एंट्री न की हो. राजनीति में इन पूर्व राजपरिवारों की एंट्री जनसेवा के साथ-साथ राजपरिवार की संपत्तियों को भी सुरक्षित रखने के लिए हुई. राजस्थान के प्रमुख पूर्व राजघरानों में जयपुर राजपरिवार, अलवर राजपरिवार, कोटा राजपरिवार, बीकानेर राजपरिवार, भरतपुर राजपरिवार, जोधपुर राजपरिवार, उदयपुर राजपरिवार, धौलपुर राजपरिवार, जैसलमेर राजपरिवार और करौली राजपरिवार शामिल हैं.
वक्त के साथ थामा भाजपा-कांग्रेस का हाथ
वर्तमान में राजस्थान में राजनीतिक दलों से जुड़े पूर्व राजपरिवारों में जयपुर, बीकानेर, कोटा और धौलपुर के पूर्व राजपरिवार ऐसे हैं जो भाजपा से जुड़े हैं. वहीं अलवर और भरतपुर के पूर्व राज परिवार का जुड़ाव कांग्रेस के साथ है. आजादी के बाद कुछ पूर्व राज परिवारों ने जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी का दामन थामा और चुनाव भी लड़ा. लेकिन समय के साथ कुछ भाजपा के साथ हो गए और कुछ कांग्रेस के साथ. समय, स्थिति और सियासी नफे-नुकसान को देखते हुए कुछ पूर्व राज परिवारों ने राजनीतिक दल बदलने में भी समय नहीं लगाया.
समय के साथ इन पूर्व राज परिवारों ने बदला सियासी पाला
राजस्थान में भरतपुर के पूर्व राजपरिवार से आने वाले विश्वेंद्र सिंह (vishvendra singh) मौजूदा समय में कांग्रेस के विधायक हैं. विश्वेंद्र सिंह और उनकी पत्नी भाजपा के सांसद रह चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (vasundhra raje) के राजनीतिक सलाहकार के रूप में भी विश्वेंद्र सिंह ने अपनी सेवाएं दी थीं. इसी परिवार की बेटी कृष्णेंद्र कौर दीपा (krishnendra kaur dipa) पिछली वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. विश्वेंद्र सिंह परिवार के सदस्य राजा मानसिंह (raja maan singh) राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे थे.
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अलवर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य महेंद्र कुमारी (mahendra kumari) भाजपा से सांसद रह चुकी हैं. लेकिन अब इसी परिवार के सदस्य भंवर जितेंद्र सिंह (bhanwar jitendra singh) कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. ठीक यही स्थिति कोटा के पूर्व राजपरिवार की भी है. कोटा के पूर्व राजपरिवार के सदस्य इज्येराज सिंह (ijyeraj singh) लंबे समय तक कांग्रेस में रहे और सांसद भी रहे. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से नाराज होकर उन्होंने अपनी पत्नी कल्पना सिंह (kalpana singh) को लाडपुरा विधानसभा सीट पर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़वाया और वे भाजपा की विधायक भी बनीं.
जयपुर के पूर्व राज परिवार की पूर्व राजमाता गायत्री देवी (gayatri devi) स्वतंत्र पार्टी से जयपुर लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़कर सांसद बनी थीं. इसी परिवार से आने वाले पूर्व महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह (bhawani singh) कांग्रेस के टिकट से जयपुर लोकसभा का चुनाव लड़े थे. अब भवानी सिंह की पुत्री और जयपुर राजपरिवार सदस्य दीया कुमारी (diya kumari) राजसमंद से भाजपा की सांसद और पार्टी में प्रदेश महामंत्री हैं.
जोधपुर पूर्व राजपरिवार के सदस्य गज सिंह (gaj singh) पहले भाजपा के सहयोग से राज्यसभा सांसद रहे और एनडीए सरकार के दौरान ट्रिनिडाड में भारत के उच्चायुक्त रहे. लेकिन इसी परिवार से ताल्लुक रखने वाली उनकी बहन चंद्रेश कुमारी (chandresh kumari) कांग्रेस से सांसद और यूपीए सरकार में मंत्री भी रहीं. बीकानेर के पूर्व राजपरिवार के पूर्व महाराजा करणी सिंह (karni singh) निर्दलीय सांसद रहे. अब बीकानेर राजपरिवार की सदस्य सिद्धि कुमारी (siddhi kumari) पिछले लंबे समय से भाजपा में विधायक हैं.